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भारत में अंगरेज़ी राज

११५२ भारत में अंगरेज़ी राज

  • x x x मुझे विश्वास है कि भारतवासियों को शिक्षा देने x ” x

का अन्तिम परिणाम यह होगा कि भारत और इंगलिस्तान का पृथक हो सकना दी और अनन्त काल के लिए टल जायगा, ” . यदि इसके विरुद्ध नीति का अनुसरण किया गया तो नतीजा यह होगा कि किसी भी समय हम भारत से निकाले जा सकते हैं, और निस्सन्देह बहुत जरदी औौर घड़ी ज़िल्लत के साथ निकाल दिए जायेंगे ।। "मैं एक ऐसा रास्ता बता रहा हूं जो हमारे राज के स्थायित्व के लिए सबसे अधिक हितकर होगा। अनेक वर्षों तक खूब अच्छी तरह सोच सम कर मैंने ये विचार कायम किए हैं । मुझे विश्वास है कि मैं इस विषय को पूरी तरह समझता .।ईं ” में एक परिचित उदाहरण आपके सामने पेश करता हूं। मैं बारह वर्ष भारत में रहा । इनमें से पहले ६ वर्ष मैंने उत्तर भारत में गुज़ारे से मेरा मुख्य स्थान दिल्ली था । शेष है वर्ष मैंने कलकत्ते में बिताए । जहाँ पर मैंने पहले के वर्ष गुजारे वहाँ पर पुराने शुद्ध देशी विचारों का राज था, वहीं पर लगातार युद्ध और युों की ही अफ़वाहें सुनने में आती थीं। उत्तर भारत में भारतवासियों की देशभक्ति केवल एक ही रूप धारण करती थी, वे हमारे विरुद्ध साज़िों कर रहे थे, हमारे विरुद्ध न चिविध शक्तियों को मिलाने की तजवीजें सोच रहे थे, इत्यादि । इसके बाद | मैं कलकत्ते आया । वह मैंने बिलकुल दूसरी हालत देखी । वह पर लोगों का लघय था-स्वतन्न अख़बार निकालनाम्युनिसिपैल्टियाँ क़ायम करना, अंगरेजी शिक्षा ताना, अधिकाधिक हिन्दोस्तानिों को सरकारी नौकरियाँ दिलवाना, और इसी तरह की और अनेक बातें ।" हैं।