पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/५३४

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अवध और बिहार

अबध और बिहार १७ हो चुकी थी । जगदीशपुर का राजा कुंवरसिंह ग्रास पास के "इलाक़ में अत्यन्त सर्वप्रिय था। कुंवरसिंह की आयु उस समय ८० वर्ष से ऊपर थी। फिर भी कुंवरसद बिहार के क्रान्ति- कारियों का प्रमुख नेता और सम्र ५७ के सब से त्रस्तन्त व्यक्तियों में से था । । जिस समय दानापुर की क्रान्तिकारी सेना जगदीशपुर पहुँची बूढ़े बरसिंह ने तुरन्त अपने महल से निकल नार का कर शस्त्र उठा कर इस सेना का नेतृत्व ग्रहण महास किया । रॉबरसिंह इस सेना सहित पारा पहुँचा। उसने आारा के खजाने पर कब्जा किया, जेलट्राने के फ़ैदी रिहा कर दिए और अंगरेजी दलों को गिरा कर बराबर कर दिया है , इसके बाद उसने श्रा के छोटे से किले को घेर लिया जिले के न्द्र थोड़े से अंगरेज़ गौर कुछ सिब सिपाही थे । लिखा है कि किले में पानी की कमी पड़ गई। तुरन्त किले के अन्दर के सिख ने अंगरेजों की विपत्ति को देख कर २४ घण्टे के अन्दर एक नया कुंआ खोद कर तैयार कर दिया। कुंवरसिंह ने कम्पनी की सेना से वादा किया कि यदि आप लोग किला हमारे सुपुर्द कर दें तो .? आप सबको प्राणदाम दे दिया जायगा। किन्तु किले के भीतर की सेना ने स्वीकार न किया । किले के अन्दर के सिखों को कुंवरसिहं ने समझा बुझा कर क्राति के पक्ष में करना चाहा, किन्तु उसे सफलता न हो सकी। इस प्रकार तीन दिन श्रा के किले का मोहासरा जारी रहा।