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भारत में अंगरेज़ी राज

१८० भारत में अंगरेजी राज ग्राम संग्राम २६ जुलाई को दानापुर से कप्तान डनबर के अधीन फ़रीब ३०० गोरे सिपाही और १०० और सिद्ध क बा का नारा की सेना की मदद के लिए चले । आरा के निकट एक आम का बाग था। । कुंवरसिंह ने अपने कुछ श्रादमी नाम के वृक्षों की टहनियों में छिपा रखे थे। रात का समय था, जिस समय दानापुर की सेना ठीक वृक्षों के नीचे पहुँची, धरे में ऊपर से गोलियाँ बरसनी शुरू हुई। सुबह तक ४१५ आदमियों में से केवल ५० जिन्दा बच कर दानापुर की और लौटे। कप्तान डनवर इसी श्रम के बाग में मारा गया । इसके बाद मेजर आयर एक बड़ी सेना और तोपों सहित किले के अंगरेज़ों की सहायता के लिए बढ़ा ।२ बीबीगंज का संग्राम अगस्त को बीवीग के निकट कुंवरसिंह को सेना और मेजर आयर की सेना में संग्राम हुआ । एक बार अंगरेज़ी सेना के एक अफसर कप्तान हेस्टिंग्स ने मेजर नायर से नाकर कहा कि विजय इमारे हाथ से खिसकती हुई दिखाई देती है। किन्तु अन्त में मेजर नयर ही की विजय रही । कुंवर सिंह की सेना को पीछे हटना पड़ा और श्राठ दिन के मोहासरे के बाद आरा का नगर और कला फिर से अंगरेजों के हाथों में आ गया। " कुंवरसिंह श्रव जगदीशपुर की ओर लौट आया 1 मेजर आयर ने अपनी विजयी सेना सहित उसका पीछा किया। कई दिन संग्राम होता रहा । अन्त में मेजर नायर ने १४ अगस्त को जगदीशपुर के महल पर क़ब्ज़ा कर लिया ।