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भारत में अंगरेज़ी राज

१२ भारत में अंगरेजी राज सिपाही काम झाए और शेष ने अतरौलिया से भाग कर कौशिलां में आश्रय लिया। कुंवरसिद्द ने मिलमैन का पीछा किया । मिलमैनें. के हिन्दोस्तानी नौकरों ने इस समय उसका साथ छोड़ दिया। लिखा है कि वे कम्पनी की सेना के बैलों और गाड़ियों समेत इधर उधर भाग गएशेष असबाब और तोपें कुंवरसिंह के हाथ लगीं । मिलमैन अपने रहे सहे श्रादमियों सहित ग्राजमगढ़ की ओर भाग गया। पक्ष दूसरी अंगरेजी सेना करनल डेम्स के अधीन बनारस और ग़ाजीपुर से चलकर मिलमैन की सहायता के खेम्स की पराजय छाजमगढ़ पहुंचोमार्च को संयुक लिए । २८ यह सेना करनल डेम्स के अधीन फिर कुंवरसिंह के मुतावले के लिए निकली। आजमगढ़ से कुछ दूर कुंवरसिंह गौर करना डेम्स में संग्राम हुआ । कुंवरसिंह ने फिर एक बार पूर्ण विजय प्राप्त की । करनल डेम्स को मैदान से भाग कर आजमगढ़ के किले में नाश्रय लेना पड़ा। विजयी कुंवरसिंह ने आजमगढ़ नगर में प्रवेश किया । श्राजमगढ़ को विजय कर अपनी सेना के एक दल को नाज

  • , गढ़ के किले के सोहासरे के लिए छोड़ कर कुंवर :

लॉर्ड कैनिन्न सिंह अब बनारस की ओर बढ़ा। लॉर्ड कैनिऊ । की उस समय इलाहाबाद में था। इतिहास लेखक मलेसन लिखता है कि कुंवरसिंह की विजयीं और उसके वनारस पर चढ़ाई करने की खबर सुन कर कैनिन घबरा गया। घबराहट