पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/५४०

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१५८५
अवध और बिहार

१८५ अवध और बिहार गए1 अन्त में कम्पनी की सेना को हार कर पीछे हट जाना पड़ा । और कुबरसिंह गढा की ओोर बढ़ा। एक और अंगरेज़ी सेना सेनापति डगलस के अधीन कुंवरसिंह को परास्त करने के लिए बढ़ी । नई माम डगलस को ग्राम के निकट डगलस और कुबरसंह की । पराजय सेनाओं में संग्राम हुआ। कुंवरसिंह ने इस समय अपनी सेना के तीन दल किए 1 एक दल ने डगलस का मुकाबला किया । दूसरे दांनी दल झूम कर भागे बढ़ गए । पहला दल ज़ोरों के साथ डगलस की सेना से लड़ता रहा 1 डगलस के मुक़ाबले में इस दल की संख्या कम थी। चारमील तक डगलस इस दल को दबाता चला गया । अन्त में ज्योंही डगलस की सेना थक कर रुकी, दूसरे दोनों दल अन्य रास्तों से घूम कर उस पर ट पड़े पराजित डगलस को पीछे हट जाना पड़ा । कुंवरसिंह को संयुक्क सेना गा की घोर बढ़ो। डगलस की सेना ने फिर उसका पीछा कियाकिन्तु व्यर्थ । कुंवरसिंह अपनी सेना सहित नाश्चर्यजनक बेग के साथ चल कर सिकन्दरपुर पहुँचा। उसने घाघरा नदी पार की भोर मनोहर ग्राम में जाकर

.कुछ देर के लिए विश्राम किया ।

मनोहर ग्राम में डगलस की सेना ने फिर कुंवरसिंह पर हमला किया 1 कुंवरसिंह के कुछ हाथी, कुछ घासद श्रौर कुछ रसद का सामान डगलस के हाथ पाया । कुंवरसिंहू ने फिर अपनी सेना के कई छोटे छोटे दल बनाए और उन सब को अलग अलग रास्तों