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भारत में अंगरेज़ी राज

१५४४ भारत में अंगरेजी राज इस श्राशा के विपय में रलल लिखता है –इस नाम एलान से नेताओं को बुद्धिमत्ता का पता चलता है और यह भी पता चलता है कि इससे अधिक भयकर युद्ध का हमें कभी भी सामना करना न पड़ा था । . मौलवी अहमदशाह लखनऊ से करीब तीस मील दूर बारी नामक स्थान पर था। बेगम हजरतमहल के यारी की लड़ाई इज़ार निकों सहित विटावली में थी । होपग्रॉएट तोन हज़ार सेना और तोपख़ाने सहित लखनऊ से बारी की भोर बढ़ा । मौलवी अहमदशाह को पता चला, उसने बारी से चार मील दूर एक गाँव में अपनी पैदल सेना को नियुक्त किया औौर सार सेना को किसी दूसरी जगह छिपा दिया । उसकी चाल यह थी कि कम्पनी की सेना इस गाँव पर हमला करेअहमदशाह की पैदल सेना उसका मुकाबला करे और उसके सवार अचानक पीछे से प्राकर कम्पनी की सेना को घेर लें । मौलवी स्वयं पैट्टा

सेना के साथ रहा। सवारों को झाझा थी कि जिस समय तक

पैदल सेना के साथ अंगरेजों को लड़ाई शुरू न हो जाय तुम अपने श्राप को बराबर छिपाए रखता किन्तु ऐन मौके पर अधीर सवारों ने अहमधुशाह की आशा के विरुद्ध अंगरेज़ी सेना को सामने देखते ही अपने स्थान से निकल कर उस पर हमला कर दिया । इस अव्यवस्था का परिणाम यह हुआा कि थोड़ी सी लड़ाई के बाद • Russells Diary, p276