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भारत में अंगरेज़ी राज

९५४६ भारत में अंगरेजी राज बरेली । ) नाना साक्ष्य और मौलवो अहमदशाह अब शाहजहाँपुर पहुंचे। . कमाण्डरइन-चीफ़ सर कॉलिन कैम्पबेल ने शाहजहाँपुर और शाहजहाँपुर पहुंच कर चारों ओर से नगर को घेर लिया। उसका उद्देश नाना साहब और मौलवी अहमदशाह को बश में करना था । किन्तु ये दोनों नेता अंगरेजी सेना के बीच से शाहजहाँपुर छोड़ कर निकल गए। ख़ानबहादुर खाँ ने अभी तक रुहेलखण्ड की राजधानी बरती को स्याधोन कर रक्खा था। दिल्ली का एक शाहजादा मिरजा फीरोज़शाह, नाना साहब, मौलवी अहमदशाह, बालासाहध, बेगम हज़रतमहलराजा तेजसिंह और अन्य अनेक नेता इस समय बरेली में थे 1 सर कॉलिन अपनी सेना सहित बरेली की ओोर बढ़ा। क्रान्तिकारी नेता पहले हो से बरेली छोड़ देने और चारों और रुहेलखण्ड में फैल जाने का निश्चय कर चुके थे ।५ मई को अंगरेज़ी सेना ने बरेली को घेर लिया 1 बरेली के असंख्य क्रान्तिकारी केवल , ढाल तलवार लेकर मरने के लिए अंगरेजी सेना पर टूट पड़े । दोनों और काफ़ी जानें गई। अन्त में ७ मई सन् १८५८ को ख़ानबहादुर ख़ाँ अन्य नेताओं और कुछ सेना सहित बरेली छोड़ कर निकल गया । अंगरेज़ी सेना ने घरेलो के मगर पर कब्ज़ा कर लिया। खर कॉलिम कैम्पबेल अभी बरेली ही में था कि मौलवी अहमदशाह ने झूम कर फिर से शाहजहांपुर शाहजहपुर का पर हमला किया, वहाँ की अंगरेजी सेना को परास्त किया और शाहजहाँपुर पर क़ब्ज़ा संग्राम