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भारत में अंगरेज़ी राज

१३ भारत में अंगरेजी राज तुरन्त अहमदशाह का सिर काट कर उसे एक कपड़े में लपेटा और , F स्वयं पास के अंगरेजी कैम्प में पहुँचा दिया । इस प्रकार ५ जून। सन् १८१८ को मौलवी अहमदशाह का अन्त हुथा। अगले दिन मौलवी अहमदशाह का कटा हुआ सिर शाहजहाँपुर की कोतवाली । के सामने टाँग दिया गया। राजा जगन्नाथसिंह को इस सेवा के बदले में कम्पनी सरकार से पचास हज़ार रुपए इनाम में मिले । मौलवी अहमदशाह की योग्यता के विषय में हम ऊपर भी अंगरेज़ इतिहास लेखकों की राय उद्धत कर चुके अहमदशाह फी हैं । होम्स लिखता है मौलवी अहमदशाह कि “उत्तर भारत में अंगरेजों का सब से ज़बरदस्त शत्रु था ।” के एक दूसरा अंगरेज़ इतिहास लेखक मलेसन लिखता है- ‘मौलवी एक बड़ा अद्भुत मनुष्य था × × · सेनापति की हैसियत से उसकी योग्यता के विप्लव में अनेक सुबूत मिले x कोई भी और मनुष्य प्राभिमान के साथ यह न कह सकता था कि मैंने दो यार सर कॉलिन कैम्पबेल को मैदान में परास्त किया !” हैं ” फ़ैज़ाबाद के मौलवी अहमदशाह की इस प्रकार मुख्यु हुई । यदि एक ऐसे मनुष्य को, जिसकी जन्मभूमि की स्वाधीनता का अन्याय द्वारा अपहरण कर लिया गया हो, और जो फिर से उस स्वाधीनता को स्थापित करने के लिए योजना करे यरयता • "The most formidable eneny of the British in Northern India." Holmesisory of tic Indian Natity, D. 539.