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भारत में अंगरेज़ी राज

१६०२ भारत म अंगरेजी राज । सारी रात गोले बरसाए । रात के समय किले और शहर के उपर तोर्षों के गोले डरावने दिखाई देते थे । पचास या तीस सेर का गोला ऐसा मालूम। होता था जैसी एक छोटी सी गेंदकिन्तु आज्ञारे की तरह लाल ।x x २६ तारीख़ के दोपहर को कम्पनी की सेना ने नगर के दक्खिनी फाटक पर इस ज्ञोर से गोले बरसाए कि उस प्रोर की झोंसो को तोप ठण्डी हो गई । किसी को भी वहीं खड़े रहने की हिम्मत न हो सको। x & इस पर पशिख्मी फाटक के तोपची ने अपनी तोप का मुँह उस योर करके शत्रु के ऊपर गोले । यरसने शुरू किए । तीसरे गोले ने अंगरेजी सेना के सब से अच्छे तोपची को उड़ा दिया । इस पर अंगरेजी तोप एडो होगई। रानी लचमीबाई ने खुश होकर अपनी छोर के तोपची को, जिसका नाम गुलाम गौस न था, सोने का कड़ा इनाम में दिया 1x x पोंचवें या छठे दिन चार पाँच घण्टे तक रानी की तोरों ने चमत्कार कर दिखाया । उस दिन अंगरेजों की प्रोर यसंख्य यादमी मारे गएऔौर नेक तोप ठएडी होगई। फिर आइरेजी तोपें अधिक उत्साह से चलने लगीं, औोंसी को सेना का दिल टूटने लगा और उनकी तोपें ठण्डी होने लगीं । सातवें दिन शाम को शत्रुके गोरों ने नगर के बाई ओोर को दीवार का एक हिस्सा गिरा दिया और उस चोर की तोप 5 ठण्डी हो गई । कोई वहीं पर खड़ा न रह सकता था । किन्तु रात के समय ११ मिखी कर लोढ़े दीवार तक पहुँचे औौर सुबह तक उस हिस्से की । मरम्मत कर दी । फाँसी की तो सूर्य निकलने से पूर्व फिर अपना कार्य करने लगी। x & K कम्पनी की प्रोर इससे बहुत भारी नुकसान हुआ, यहाँ तक कि उनकी तोपें बहुत देर के लिए निकम्मी हो गई । आठवें दिन सवेरे कम्पनी की सेना शख़र किले की ओर बढ़ी । दूरबीन की सहायता से घब्रेनों में