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१६०८
भारत में अंगरेज़ी राज

१६०८ भारत में अंगरेज़ी राज . से विजय करने के लिये निकला था। हिटलॉक के साथ भी काफ़ी गोरी और देशी पलटन थीं। श्रोरड़ा का राजा हिटलों के साथ* हो गया। सागर के बाद हिटलॉक चाँदा की ओर बढ़ा । बाँदा के नबाव में अनेक अंगरेजों को अपने महल में श्राश्रय दे रखा था, उसका व्यवहार उनके साथ अत्यन्त उार था । किन्तु साथ ही यह अपने प्रान्त के क्रान्तिकारियों का एक मुख्य नेता था। शुरू में ही उसने बाँदा से अंगरेजी राज के चिन्ह उखाड़ कर सम्राट बहादुरशाह का हरा झण्डा नगर के ऊपर लगा दिया था। हिटलॉफ को आते देख कर नवाब मुक़ाबले के लिए तैयार हो गया। कई लड़ाइयाँ हुई, अन्त में नबाब की हार रही। विजयी हिटलॉक ने १४ अप्रैल को बाँदा में प्रवेश किया। नवाब अपनी कुछ सेवा सहित नगर छोड़ कर कालपी की औोर निकल गया । इसके बाद हिटलॉक ने करबी के राय माधोराव पर चढ़ाई की । माधोराब दस वर्ष का बालक था । उसकी करवी का राव करवा की राष नाबालिमी के दिनों में रियासत का प्रबन्ध कम्पनी के नियुक्त किए हुए एक कारवारी के हाथों में था । करवी के राव ने क्रान्ति में किसी तरइ का भाग न लिया था। हिटलॉक के आने का समाचार सुन कर वह स्वागत के लिए आगे बढ़ा । हिटलॉक और उसकी सेना ने नगर में प्रवेश किया । तुरन्त बालक माधोराय को कैद कर लिया गया, महल को गिरा दिया गया, राजधानी को लूट लिया गया और रियासत को कम्पनी के राज