पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/५८

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११५७
भारतीय शिक्षा का सर्वनाश

भारतीय शिक्षा का सर्वनाश ११५७ है। ट्रालयन की आशकाएँ बहुत शीघ्र सच्ची साबित हुई। सन् १८५७ की क्रान्ति ने एक बार इस देश के अन्दर ब्रिटिश साम्राज्य की जड़ों को बुरी तरह हिला दिया। अंगरेज शासकों को अब ट्रेवेलियन, मैकॉले जैसों की मीतिशता और दूरदर्शिता में कोई सन्देह म रहा । उनका सरकारी बताया हुआ उपाय ही इस देश में अंगरेज़ी विश्वविद्यालय रात मात्र राज को चिरस्थायी करने का एक उपाय था। लॉर्ड कैमि उस समय भारत का गवरनर जनरल था। ठीक सन् १८५७ में कलकत्तेबम्बई और मद्रास के अन्दर सरकारी विश्वविद्यालय क़ायम करने के लिए कानून पास किया गया । सन् १५8 में इइलिस्तान के प्रधान मन्त्री ने सन् १५४ के पत्र को फिर से दोहरा कर पक्का किया 1 सन् १८४ का यह मशहूर ख़रीता ही भारत की आजकल की अद्दरेजी शिक्षा प्रणाली और अंगरे शासकों की शिक्षा नीति दोनों का उद्गम स्थान है । ब्रिटिश सरकार का वर्तमान शिक्षा विभाग इसी पत्र का नतीजा है । दिल्ली कॉलेज के शुरू के विद्याथीं, सर चाल्र्स देवेलियन के पतु शिष्य और प्रथम अफ़ग़ान युद्ध में अंगरेज़ों शिक्षित के परम सहायक, पण्डित सोहनलाल से लेकर भारतवासियों का आज तक के अधिकांश अंगरेजी शिक्षा पर हुए चरित्र। भारतवासियों के जीवन, उनके रहन सहन औौर उनके चरित्र से स्पष्ट है कि लॉर्ड मैकॉले और सर चार्ज देवेलियन