पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/५८२

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लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे

लीवाई और तात्या टोपे १६९ के लिए युद्ध किया हो अथया इस प्रकार अपने मार्श के लिए लड़ते 'लड़ते युद्धक्षेत्र में प्राण दिए हों । इतिहास लेखक बिन्सेप्ट स्मिथ ने, जो भारतीय ग्रादों या भारतवासियों के मानव अधिकारों का अधिक पक्षपाती नहीं है, महाराम लक्ष्मीबाई को “स्वाधीनता संग्राम के नेताओं में सब से अधिक योग्य नेता"% स्वीकार किया है ! सन् १७ के विश्लब का मुख्य क्षेत्र उत्तरी भारत था । यदि बिन्धाचल से दक्खिन का भाग क्रान्ति का दफिानन में क्रमित उसी प्रकार साथ दे जाता जिस प्रकार उत्तर की चिनगारियाँ का, तो मद्रास और बम्बई की सेनाओं का उत्तर की ग्रोर जाकर बिहार, बनारस, इलाहाबाद, नयध और रुहेलखण्ड को फिर से विजय पर स का असम्भव होता औौर क्रान्ति का अन्तिम परिणाम बिलकुल दूसरा ही होता । दक्खिन में फ्रान्ति के प्रचारक पहुंच चुके थे, अनेक स्थानों में कुछ सुना भी, किन्तु यह सब इतना फुलम और इतने अव्यवस्थित ढलू से हुआ कि अंगरेजों के लिए उसे दमन करना अत्यन्त सरल हो गया और क्रान्तिकारियों को उससे विशेष लाभ न पहुँच सका । में लन्दन के अन्दर रद्दो बापूजी और श्रीमुल्ला रद्द ट्राँ की भेंट का ज़ि एक पिछले श्रध्याय में किया जा चुका है। फोरदापुर में क्रान्ति सतारा में बैठ कर रहो बापूजी नाना साहब के । . " - - - १२ ablest of the rches leaders, "--72, Oive SMuzure ) Hikkry f Inia, by incent, A. Sith, P. 32s.