पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/५८४

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लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे

सीई औौर तात्या टोपे १६२१ पर तटर कर लिया जाय और नाना साहब को पेशवा एलान कर दिया जाय 16 यम्बई के सिपाही अभी सलाहें ही कर रहे थे कि अंगरेजों को पता चल गया 1 जुछ को फाँसो दे दी गई, कुछ को देश निकाला और मामला ठण्डा होगया । नागपुर के निकट के कुछ देशी सिपाहियों ने १३ जून सन् ५७ अपने लिए निर्यात कर रख थो t कई बड़े बड़े नागरिक भी इस सलाख़ में शामिल थे । किन्तु मद्रास की देशी पलटनों ने समय से पहले पहुंच कर नागपुर को ठीक कर हित' । जबलपुर प्रान्त का गोंड राजा प्राझरसिंह और उसका पुत्र क्रान्ति के सच्चे भक थे 1 उन्हने जबलपुर की संबलपुर ५२ नम्बर देशी पलटन को अपनी ओर कर लिया। अंगरेजों को पता चल गया। १८ सितम्बर सन५७ को राडा शाहरसिंह और उसके बेटे को तोप के मुंह से उड़ा दिया गया। इस पर ५१ नम्बर पलटन विराड़ी में एक अंगरे मार डाला गया । ५२ नम्बर पलटम के कुछ सिपाहियों ने अन्य स्थानों पर जाकर क्रान्ति में भाग लियt ? । दिल्ली के शहजादे फीरोज़शा ने रियासत धार में, मदीदपुर २ में, गोरिया में और अन्य स्थानों में शान्ति की योजनाएँ कीं । किन्तु अधिक सफलता न हो सकी। दिखम में हैदराबाद पक अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान था 1 एफ ईरयाद जंगल इतिहात लेरठक लिग्खता है–“तीन

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