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भारत में अंगरेज़ी राज

१६२४। भारत में अंगरेजी रा राजा ने अपने किसी ग्रैंगरे पहरेदार से खेल खेल में पिस्तौल से लो और प्रबसर पाकर श्रपने ऊपर गोली दाग दी। इससे पहले उसने एक दिन कहा था- 46 साहिय में काले पानी से मौत को पसन्द करता । : केंद्र और कालापानी १ मेरी प्रजा में से तुच्छ से तुच्छ पहाड़ी भी जेल में रहना पसन्द न करेगा फिर मैं तो उनका राजा हूँ !" इस बीर बालक राजा का वृत्तान्त और उसके शव्द हमने मीडोम की अंगरेज़ी पुस्तक स्टोरी ऑफ माई लाइफ" से टेलर दिए हैं । जोरापुर के राजा का एक साथी नारगुण्ड का राजा भास्कर राव बाबा साहब था 1 बाबा साहब की रनो । भास्करराव याया बड़ी बीर और अंगरेजों की जानी दुश्मन थी। लिखा है कि बहुत दिनों तक सोचने विचारने के बाद रानी हो के कहने पर २५ मई सन् १८५८ को बावासाहव ने अंगरेजों के विरुद्ध युद्ध का एलान कर दिया। मॉनसम के अधीन कम्पनी की एक सेना नारगुएड की ओर बढ़ी। बाबासाहब ने अपने कुछ सिपाहियों सहित मॉनसन को रात के समय नारगुण्ड के निकट जइल में जा घेरा । संग्राम हुआ । मॉनसन मार डाला गया उसका सर काट कर शेष धड़ जला दिया गया। कम्पनी की सेना हार कर भाग गई । अगले दिन मॉनसन का कटा हुआ सिर नारगुण्ड की फ़सील पर लटका दिया गया । इसके बाद बाबासाहब का एक सौतेला भाई अंगरेजों से मिल गया।