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भारत में अंगरेज़ी राज

१६३० भारत में अंगरेज़ी राज की गोद लेने की प्रथा आइन्दा से जायज़ समझी जायगी और दत्तक पुत्र को पिता की जायाद और गद्दी का मालिक माना जायगाकिसी के धार्मिक विश्वासों या धार्मिक रस्मोरिवाज में किसी प्रकार का हस्तक्षेप न किया जायगा, देशी नरेशों के साथ कम्पनी ने इस समय तक जितनी सन्धियाँ की हैं उनकी सव शा का आइन्दा ईमानदारी के साथ पालन किया जायगा, इसके बाद किसी भारतीय नरेश की रियासत या उसका कोई अधिकार न छीना जायगा, समस्त भारतवासियों के साथ ठीक उसी प्रकार का व्यवहार किया जायगा जिस प्रकार का अंगरेजों के साथ; इत्यादि, इत्यादि। किन्तु कम से कम अवध निवासियों पर विक्टोरिया के इस पलान का भी अधिक प्रभाव न पड़ा 1 इङलिस्तान बेगम हज़रतमहल की मलका ओर इस एलान के प्रकाशित की से होते ही बेगम हज़रतमहल की ओर से एक पलाम इसके जवाब में अवध की समस्त प्रजा के नाम प्रकाशित हुआ । यह एलान हिन्दोस्तानी भाषा में था। हम इसके कुछ वाक्य उसक सरकारी अंगरेजी अनुवाद से हिन्दी में अनुवाद करके नीचे उद्धृत करते हैं। बेगम हजरतमहल ने इस प्लान में हैं। का एलान

      • x पहली नवम्घर सन् १८५८ का एलान, जो हमारे सामने

आया है, बिलकुत स्पष्ट है ।हैं इसलिए हम ईं हैं ” बहुत सोच समझ कर मौजूदा एलान प्रकाशित करते हैं, ताकि पूॉक्त एलान के