पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/५९४

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लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे

लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे १६३१ 6ास ख़ास असली उद्देशक प्रकट हो जायें और हमारी रिचाया होशियार हा जाय । उस एलान में लिखा है कि हिन्दोस्तान का मुख्क जो अभी तक कम्पनी के सुपुर्द था, अब मलका ने अंपने शासन में ले लिया है, और माइन्दा से भलका के क़ानूनों को साना जायगा । हमारी धर्मनिष्ठ प्रज्ञा को इस पर एतबार नहीं करना चाहिए । क्योंकि कम्पनी के कानूनम, कम्पनी के अंगरेज़ मुलाज़िमकम्पनी का गवरनर जनरल और कम्पनी की अदालतें इयादि, संघ उयों की त्यों बनी रहेंगी तो फिर वह नई बात कौन सी हुई जिससे जनता को लाभ हो या जिस पर वे विश्वास कर सकें ? ‘डस एतान में लिखा है कि कम्पनी ने जो जो वादे और महदपैमान किए हैं, सलका उन्हें मधुर करेंगी । लोगों को चाहिए कि इस चात को ग़ौर से देख लें । कम्पनी ने सारे हिन्दोस्तान पर कड़ा कर लिया है, और अगर यह बात कायम रही तो फिर इसमें नई बात क्या हुई है कम्पनी ने भरतपुर के राजा को पहले पृपना बेटा बतलाया और फिर उसका इलाहा ले लिया । लाहौर के राजा को वे लन्दन ले गए और फिर कभी उसे भारत लौटने न दिया है मवाय शम्सुद्दीन वर्षों को एक ओर उन्होने फांसी पर लटका दिया, और दूसरी ओोर उसे सलाम किया। पेशवा को उन्होंने पून और सतारा से निकाल दिया औौर थाजीवन यिर में फ़ैद कर दिया । घनारस के राजा को उन्होंने नागरे में कैद कर दिया। बिहार, उड़ीसा और झा के नरे का उन्होंने नाम निशान तक नहीं खो । स्वयं एसरे प्रदीम इल उन्होंने हमसे यह बहाना करके ले लिए कि फ़ी को तन ब्राहैं देनी , और हमारे साथ जो सन्धि की उसकी १०३