पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/५९६

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लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे

लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे १६३३ . की चरथी मिताना, सड़कें बनाने के बहाने मन्दिरों और मसजिदों को गिरानागिरजा बनवाना, गलियों और कूचों में ईसाई मत का प्रचार करने के लिए पादरियों को भेजना x इन सब बातों के होते हुए लोग कैसे विश्वास कर सकते हैं कि उनके मज़हष दख़ल न दिया में जाया ? : x x "उस लोगों ने एलान में लिखा है कि मैं ” जिन हत्याएँ की हैं या हरपा याधों में मदद दी है उन पर कोई दया न की जायगी, शेप सबको धमा कर दिया जायगा में एक पूर्व समृश्य भी दे सकता है कि इस एलान के अनुसार दोपी या निर्दोष कोई मनुष्य भी नहीं बच सकता 1x ” एक थात उसमें साफ कही गई है, वह यह कि किसी भी दोपी मनुष्य को न छोड़ा जायगा, इसलिये जिस गाँव या इलाके में हमारी सेना ठहरी है उसके याशिन्दे नहीं पच सकते । उस एलान को पढ़ करजिसमें कि साफ़ दुश्मनी भरी हुई है, हमें अपनी प्यारी प्रजा की स्थिप्ति पर यड़ा दुःख है । चय हम एक स्पष्ट और विश्वस्त धाज्ञा जारी करते हैं कि हमारी प्रजा में से जिन जिन लोगों ने मूर्खता करके गाँव के मुखियों की हैसियत से अपने सई अंगरेजों के सामने पेश किया है, वे 1 जनवरी सन् १८९४ से पहले हमारे कैंप में लाकर हाजिर हों : निस्सन्देह उनका कुसूर माफ़ कर दिया जायेगा ।

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ग्राम तक कभी किसी ने नहीं देखा कि अंगरेज़ का कुसूर साफ़ किया हो । 66 'हमारी प्रजा में से कोई अंगरेज़ों के एलान के धोखे में न लाए ! • tory of ty India thatiny, by Charles Ball, you ti