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भारत में अंगरेज़ी राज

१६३४ भारत में अंगरेजी राज इस एलान के प्रकाशित होने के ६ महीने बाद तक अवध के। अवध में । अन्दर स्वाधीनता का युद्ध बराबर जारी रहा।' । क्रान्तिकारियों में चाल्स। बॉल लिखता है । :- की स्थिति “मलका विक्टोरिया के एलाम के। याद भी बिप्लवकारों के इन सब गिरोहों के साथ उनके देश वासियों को । अवध के नम्दर आश्चर्य जनक युद्ध जारी रहा । सहानुभूति थी और इस सहानुभूति से । उन्हें इतना अधिक था और इतनी अधिक उत्तेजना प्राप्त हुई कि जिसका अनुमान भी नहीं किया जा सकता । ये विप्लपकारी बिना कमसरियट के जह चाहे। जा सकते। थे, क्योंकि कोरा सय। जगह उन्हें भोजन पहुँचा देते थे । वे बिना पहरे के असयाय जहाँ चाहे। छोढ़ सकते थे, क्योंकि लोग उनके असबाब पर हमला म करते थे । उन्हें सदा अपनी प्रौर अंगरेजों की स्थिति का ठीक ठीक पता। अपना रहता था, क्योंकि लोग उन्हें घटे घण्टे भर के अन्दर आकर सूचना देते । रहते थे । हम उनसे अपनी कोई योजना छिपा कर म रख सकते थे, कि हमारी प्रत्येक नाने की मेज़ के गिर्द और अंगरेजी सेना के करीब हर खेमे में उनसे गुप्त सहानुभूति रखने वाले लोग खड़े रहते थे । । हमारे लिए उन पर । अचानक हमला कर की अफ़वाह, एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य को, सारे सवारों से अधिक तेज़ी के हैं। सकना एक अलौकिक सी बात थी, क्योंकि हमारे चलने साथ उन तक पहुँच जाती थी । ।। ' । । . ९ यही कारण था कि विक्टोरिया के एलान के छ महीने बाद तक • lbid, wol i, p, 572. j