पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/६००

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लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे

लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे १६३७ इसके पश्चात् केवल तात्या टोपे के अंन्तिम प्रत को बयान करना बाक़ी रह जाता है। तरया टोपे के तात्या टोपे के मुख्य साथियों नाना साहब, यन्तिम प्रयत्न बाला साहब औौर लक्ष्मीवाई में से अब कोई वाफ़ी न रहा था। अंगरेजों की सत्ता भारत में फिर से जम चुकी थी । स्वयं तात्या के पास अब न कोई ढ की सेना थी और न सामान । फिर भी तात्या टोपे ने ग्राश न छोड़ी। २० जून सन् १८६८ को ग्वालियर से निकल कर तात्या ने रायसाहब, बॉद के नवाब। औौर मुट्ठी भर बचे खुचे सैनिकों सहित नर्मदा की और बढ़ना। चाहा। तात्या का उद्देश नर्मदा पार कर पेशवा के नाम पर दक्खिन क नर और प्रज्ञा को क्रान्ति के के लिए फिर से तैयार करना था । २२ जून को अंगरेज़ी सेना ने उसे जौरा अलीपुर म जा घेरा 1 तात्या फिर बच कर निकल गया 1 तात्या का लक्ष्य इस समय किसी प्रकार नर्मदा पार करना था, और अंगरेज़ उसे नर्मदा पार करने से रोकना चाहते थे । तात्या ने सब से पहले भरतपुर की ओर निगाह की । तुरन्त एक प्रबल अंगरेजी सेना तात्या को फंसाने के लिए भरतपुर पहुंच गई 1 तात्या मुड़ कर जयपुर की ओर बढ़ा । जयपुर की प्रजा और सेना दोनों तात्या से सहानुभूति रखती थीं । तात्या ने उन्हें तैयार रहने की सूचना दी। अंगरेज़ों को पता चल गया । तुरन्त एक अंगरेजी सेना नीराबाद से जयपुर के लिए भेज दी गई। ताया श्रय दक्खिन की भोर मुड़ा 1 करनल होम्स के अधीन एक सेना ने