पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/६०२

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लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे

लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे १६३७ आ रही थी और तीसरी उसके ठीक सामने चम्बल के किनारे मौजूद थी। फिर भी किसी को धोखा देते हुए और किसी से बचते हुए तात्या चम्बल तक पहुँच गया औौरनाश्चर्यजनक फुर्ती के साथ अंगरेजी सेना से कुछ ही दूर फ़ासले पर चम्बल नदी को पार कर गया। चम्बल नदी अब तात्या औौर अंगरेजी सेना के बीच में पड़ गई। किन्तु ताया के पास न रद थी और न तोपें। तात्या सीधे झालरापन की ओोर बढ़ा । बहाँ का राजा अपनी सेना और तोपाँ सहित तात्या पर हमला करने के लिए निकला। किन्तु मैदान में पहुँचते ही झालरापन की सेना तात्या की ओोर जा मिली । व तात्या को सेना, सामान, रसद इत्यादि सब कुछ मिल गया । झालरापट्टनम की घोर बढ़ते हुए तात्या के पास एक भी तोप न थी। अब उसके पास ३२ तोपें हो गई। विजयी तात्या ने झालरापट्न के राजा से युद्ध के खर्च के लिए १५ लाख रुपए वसूल किए । पाँच दिन तक तात्या कहीं ठहरा रहा 1 उसने अपनी सेना को तनख़ाई दीं । रावसाहब औौर बाँदे का नयाघ बराबर तात्या के साध थे 1तीनों ने मिल कर फिर नर्मदा पार करने का विचार किया । अंगरेजों ने इन लोगों को रोकने के लिए सेनाओं का एक जाल बिछा दिया । किन्तु तात्या के पास आय मुकाबले के लिए काफी सामान था । बह अब इन्दौर की ओर बढ़ा। इस समय के बड़े बड़े अंगरेज सेनापति रॉबर्टस, होम्स, , पाक मिचेतदोप और लौखा है औोर से तात्या को घेरने का प्रयत्न कर रहे थे । कई बार तात्या और उसकी सेना अंगरेजी सेना को