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भारत में अंगरेज़ी राज

१६४० भारत में अंगरेजी राज सामने दिखाई तक दे जाती थी किन्तु फिर भी तात्या बच कर निकल जाता था। रायगढ़ के निकट मिचेल की सेना तात्या पर श्र श्रा टूटी । थोड़े से संग्राम के बाद तात्या टोपे फिर अपनी तीस तात्या की समस्या तोपें मैदान में छोड़ कर बच कर निकल गया। " मार्ग में एक स्थान पर उसे चार गौर तोपें मिलीं । इसके बाद उत्तर की ओर बढ़ कर तात्या ने सधिया के नगर ईशगढ़ पर हमला किया और वहाँ से श्राठ औौर तोपे प्राप्त कीं । तात्या जिल तरह हो, नर्मदा पार करने की धुन में था । औौर अंगरेजी सेना उसे चारों ओर से घेर कर रोकना चाहती थी। तात्या की इस समय की समस्त यात्राओंचालों, बिजयाँ औौर पराजयों को बयान कर सकना असम्भव है । एक अंगरेज़ लेखक लिखता है इसके बाद तात्या के बचने और भाग जाने का बह आश्चर्य जनक सिलसिला शुरू हुआ जो दस महीने तक जारी रहा और जिससे मालूम , होता था कि हमारी विजय निष्फल हो गई । इस सिलसिले के कारण ताल्या ? ,' का नाम यूरोप भर में हमारे प्रधिकांश ग्रंगरे सेनापतियों के नामों की अपेक्षा भी कहीं अधिक मशहूर हो गया । तात्या के सामने समस्या सरल न . थी ।x & उसे अपनी अव्यवस्थित सेना को लगातार इतनी तेज़ रफ़्तार । . १र ले जाना पड़ता था कि जिससे न केवल उसका पीछा करने वाली सेनाएँ ही, बल्कि वे सेनाएँ भी जो कभी दाहिनी ओर से और कभी बाई ओर से अचानक उस पर टूट पड़ती थीं, हाथ मलती रह जाती थीं । एक प्रोर वह। इस प्रकार उन्मतव अपनी सेना को भगाए लिए जाता था, दूसरी ओर बह