पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/६०४

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लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे

लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे १६४१ दरजन शर्त पर कब्जा कर लेता था, अपने साथ नया सामान जमा कर क्षेता था, इधर उधर से नई तोपें साथ ल लेता था और इन सबके अतिरिक्त अपनी सेना के लिए इस प्रकार के नए स्वयं सेवक रनरूट भरती करता जाता था जिन्हें कि साठ मील रोजाना के हिसाब से लगातार भागना पड़ता था । वास्था में अपने अरुप साधनों से जो कुछ कर दिखाया, उससे साबित है कि उसकी योग्यता साधारण न थी 1x व उस श्रेणी का मनुष्य था। जिस श्रेणी का कि हैदरमती था । कहा जाता है कि सास्या नागपुर से होकर मद्रास पहुंचना चाहता था 1 यदि वह वास्तव में मास तक पहुंच जाता तो वह हमारे लिए उतना ही भथर साबित होता जितना कि हैदरअली किसी समय हो चुका था । नर्मदा उसके लिए इतनी ही बड़ी रुकावट साबित हुई जितनी कि इस तिश चैनल नैपोलियन के लिए1 तारया सब कुछ कर सका, किन्तु नर्मदा को पार न कर पाया ।x & x अंगरेज़ी सेनाएँ शुरू में इतने ही धीरे धीरे ग्रागे बद्दीं जितने धीरे चलने कि उन्हें यादत थी । किन्तु फिर मज़बूर उन्होंने तेज चलना सीख लिया । जनरल पाई गौर करनल नेपियर की अन्त की कोई कोई यातनाएँ इतनी ही तेज़ थीं जितनी ताया की लत ग्राधी यात्राएँ। फिर भी तथ्या प्रच कर निकलता रहा । गरमियों निकल गई सारी बरसात निकल गई, सारी सरदी निकल गई, और फिर तमाम गरमी निकल गई, तो भी सत्या निकला चला जा रहा था । उसके साथ कभी दो इज़ार थके हुए नुयायी होते थे और कभी पन्द्रह हज़ार इसके बाद तात्या ने अपनी सेना के दो टुकड़े किए 1 एक अपने

  • TY Frizlms f India, 1853.