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भारत में अंगरेज़ी राज

९६४२ भारत में अंगरेजी राज पार करना अधीन, दूसरा रावसाहब के अधीन । दोनों दल दो औोर से आगे , बढ़े । कई जगह अंगरेज़ी सेना से लड़ाइयाँ तात्या का नर्मदा लड़ते हुए दोनों दल ललितपुर में जाकर फिर मिल गए। यहाँ पर क्खिन में मिचेल की सेना पूरव में करनल लिडेल को ना, उत्तर में करनल मीड की सेना, पच्छिम में करनल पार्क की सेना और चम्बल की ओर से जनरल रॉबर्ट के अधीन एक सेना,—पाँच छोर से पाँच अंगरेज़ी सेनाओं ने तात्या को घेर लिग्रा । तात्या ने अब अंगरेजी सेना को धोखा देने के लिप दक्खिन की यात्रा छोड़ कर तेज़ी से उत्तर की ओर बढ़ना शुरू किया । अंगरेज़ समझे कि तात्या ने दक्खिन जाने का विचार छोड़ दिया किन्तु तात्या फिर अचानक मुड़ पड़ा, तेज़ी से उसने बेतवा नदी पार की, कजूरो में अंगरेज़ सेना के साथ एक संग्राम किया, वहाँ से रायगढ़ पहुँचा और फिर सीधा तीर की तरह दक्खिन की ओर लपका । अंगरेज़ उसकी इन चालों से घबरा गए । जनरल पार्क एक छोर से लपका, मिचेल पीछे से तपका, बेचर सामने से तात्या हैं की ओर बढ़ा . किन्तु तात्या अपनी सेना सहित नर्मदा पहुँच ही

  • गया और होशद्दाबाद के निकट संसार के बड़े से बड़े युद्ध विशारदों

को चकित कर अपनी सेना सहित नर्मदा को पार कर गया। . इतिहास लेखक मॉलेसन लिखता है- जिस दृढ़ता और धैर्य के साथ तात्या ने अपनी इस योजना को पूरा किया उसकी प्रशंसा न करना असम्भव है । लन्दन ‘टाइम्स' के सम्वाददाता ने लिखा