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भारत में अंगरेज़ी राज

११० के भारत में अंगरेज़ी रा अन्त में सन् १३६ में लॉर्ड बेरिटद्ध की राय से लॉर्ड ऑकलैण्ड को गवरनर जनरल नियुक्त करके भारत भेजा गया। लॉर्ड चेरिटक के समय में सिन्धु नदी की जो सरखे महाराजा रणजीतसिंह को उपहार भेजने के बहाने की गई सिन्धु नदी के सरवे थी उसके गुल अब अफ़ग़ान युद्ध के रूप में का परिणाम आकर खिले । इस दृष्टि से लॉर्ड ऑकलैण्ड का शासन काल ब्रिटिश भारतीय इतिहास में एक विशेष सीमा चिन्द है। इस शासन काल में ही ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य की वैज्ञानिक सरहद' ( साइण्टिफ़िक फ्रएटीयर ) खोजने का प्रयत्न शुरू हुआ; जिसके फल रूप धीरे धीरे सिन्ध, पलाव, बलूचिस्तान, चितराल और उस समय के अफ़ग़ानिस्तान के कुछ भाग को अपनी स्वाधीनता खोनी पड़ी। लॉर्ड ऑकलैण्ड के समय में दोस्तमोहम्मद खाँ अफ़ग़ानिस्तान का बादशाह था। उससे पहले का बादशाह शाहशुजा उन दिनों लुधियाने में अंगरेजों का मेहमान था। सिन्धु नदी की सरखे करने और महाराजा रणजीतसिंह को बादशाह विलियम को ओर से घोड़े और गाड़ी बन्र्स की संध्य भेंट करने का कार्य एक चतुर अंगरेज़ लेफ्टिनेरट एशिया की यात्रा बन्र्स के सुपुर्द था । इन उपहारों को रणजीत सिंह की नज़र करने के बाद बन्र्स को सन् १८३२ में मय पशिया . की ओर भेजा गया । कारण यह बताया गया कि कि अंगरेज़ को रूस के हमले का डर है, इसलिए भारत और मध्य एशिया के