पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/६२

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पहला अफ़ग़ान युद्ध

बीच की ताक़तों को कम्पनी की और करने के लिए बन्र्स को भेजा जा रहा है । बम्र्स के साथ एक और अंगरेज़ डाक्टर गेरार्डएक काशमीरी पण्डित मुन्शी मोहनलाल और एक मुसलमान सरबेयर मोहम्मदअली भी थे । यह पण्डित मोहनलाल अत्यन्त चालाक और दिल्ली कॉलेज के शुरू के विद्यार्थियों में से था । ये लोग सब से पहले अफ़गानिस्तान पहुँचेअमीर दोस्तमोहम्मद ख़ाँ ने इनकी खूब ख़ातिर की। उसके बाद एक साल तक मध्य एशिया में घूमने के बाद सन् १८३३ में ये लोग अनेक पत्र, मान चित्रों आदि हित भारत लौट आए 1 भारत और इइलिस्तान दोनों में बर्ल की बहुत बड़ी इज़्ज़त हुई 1 वर्ल्ड की इस यात्रा ने ही पहले अफगान युद्ध की बुनियाद डाली । वर्ल के भारत लौटने के कुछ दिन बाद लॉर्ड ऑकलैण्ड ने गबरनर जनरली का पद सँभाला।

अंगरेज़ बहुत दिनों से अफ़ग़ानिस्तान तक अपने पैर फैलाने के रिलए लालायित थे। रूस का डर अधिकतर केवल बन्र्स का व्यापारी एक बहाना था। सन् १३६ के अन्त में बन्र्स- मिशन को दूसरी बार व्यापारी मिशन’ ( कॉमर्शियल मिशन ) पर काबुल भेजा गया 1 इतिहास लेखक सर जॉन के इस मिशन के सम्बन्ध में लिखता है

"पूर्व की परिभाषा में ‘व्यापार ’ केवल ‘देशरा विजय' का दूसरा नाम है।x x और यह व्यापारी मिशन गम्भीर राजनैतिक अचझं को अपने भीतर छिपाए रखने का एक कपट वेश था।"[१]


  1. "commerce, in the vocabulary of the East, is only another name to conquest ... and this commercial mission became the cloak of grave political designs"—Kaye's Lives of Indian Officers, vol. ii. p. 33.