पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/६४४

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सन् १८५७ के बाद

सन् १८५७ के बाद १६७र्ट नहीं है ( The Proclamation has no legal force what ever, ) ।। इढ़लिस्तान की राज व्यवस्था के अनुसार भी मलका को कोई इस तरह का अधिकार प्राप्त म था औौर म इलिस्तान के किसी बादशाह को प्राप्त है, जिससे इक़लिस्तान की पार्लिमेण्ट था वहाँ के मन्त्री बादशाह के किसी प्लान के अनुसार अमल करने के लिए मजबूर किए जा सकें । पहली नवम्बर सन् १८५८ को लॉर्ड कैनिस ने यह एलान इलाहाबाद में पढ़ कर सुनाया । भारत के ग्रंगरेज़ शासकों ने उस समय स ग्राम तक अपने व्यवहार में इस पलान। के बाद की कभी एमत्र भी परवा नहीं की। हम ऊपर लिख चुके हैं कि लॉर्ड डलहौज़ी का उद्देश भारत के समस्त मानचित्र को अंगरेज़ी राज के रद्भ में रंग ३ -देशी रियासतों । पक्षाघनागपुर, देना था , , सतारा, झाँसी का कायम। इत्यादि पर क़ब्ज़ा किया जा चुका था । १८ रखा। अप्रैल सन् १५६ को पार्लिमेण्ट के सामने बहुत देते हुए सरमर्यकाइन पेरी ने कहा था, -“इसके बाद अब निज़ाम के राज की बारी है। उसके बाद मालवा की उपजाऊ भूमि पर फ़ब्ज़ा किया जायगा, जहाँ की काली मिट्टी में रुई और अफ़ीम बहुत हो सकती है । फिर गुजरात जो उससे भी अच्छी पैदा ज़्यादा ज़रवेज़ है । XXX राजपूताने और बाकी की 6 करोड़ देशी प्रज्ञा को इसके बाद विजय किया जायगा ttडयाटिड

  • speech by Sit Ersine Per । " in the House of Commons on April।

183, 1856,