पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/६६

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पहला अफ़ग़ान युद्ध

पहला अफगान युद्ध ११६३ अच्छा साधन मौजूद था। वे केवल युद्ध का बहाना ढूंढ़ रहे थे । उस समय के अनेक उल्लेखों से यह भी साफ़ ज़ाहिर है कि अंगरेजों को इस बात का पूरा विश्वास था कि रणजीतसिंह के मरने के बाद रणजीतसिंह का राज आसानी से कम्पनी के कब्जे में आ जायगा । बन् ने दोस्तमोहम्मद ख़ाँ की बात न मानी। इसी लिए उसे सफल भारत लौट जाना पड़ा। वर्ल्ड के भारत पहुँचते ही अफ़ग़ानिस्तान के साथ युद्ध की तैयारियाँ शुक हो गई । इतिहास-लेखक के आफ़ग़ानिस्तान के अफगानेस्तान के है उस कि लिखता कि ठीक समय जब बन्र्स " साथ । लेक काबुल में दोस्तमोहम्मद ख़ से दोस्ती करने की दिखावटी कोशिशें कर रहा था। ‘हिमालय पहाड़ के ऊपर साज़िों के उस बड़े अच्छे शिमले में दूसरी तरह की सलाहें हो रही थीं-ईं ” उन लोगों ने शाहशुजा के पुराने पदच्युत कुल को फिर से काबुल की गद्दी पर बैठाने का इरादा कर लिया और शाहशुजा को लुधियाने की ख़ाक में से उठा कर उसे अपना एक साधन और अपने हाथ की एक कठपुतली बना लिया x " निस्सन्देह इन छुच के सूत्रधार शिमले में रहने वाले कम्पनी . के अंगरेज़ प्रतिनिधि थे । पहले अफगान युद्ध पार्लिमेण्ट के से अंगरेजों की राजनीति और उनके राष्ट्रीय का गौं में चरित्र पर एक आश्चर्य जनक रोशनी पड़ती है । जालसाज़ी एक ख़ास बात इस युद्ध के समय यह खुली के • 8 other counsels were prevailing at Sirmla --that great hotded ot