पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/६६६

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सन् १८५७ के बाद

सन् १८५७ के बाद १७०९ इसके कुछ साल बाद एक अंगरेज अफसर ने लिखा था- "इमारे राजनैतिक, शुरस्की और फ़ौजी तीन तरह के भारतीय शासन का उसूता, ‘फूड फैक्षा औो और शासन करोहोना चाहिए ।'s सन् ११३१ की जाँच के समय मेजर जनरल सर लियोनेल स्मिथ ने कहा था-

  • x x प्रभी तक हमने साम्प्रदायिक और धार्मिक पक्षपात के

द्वारा ही मुल्क को वश में रक्स्ट्रा है-—हिन्दुओं के ख़िलाफ़ मुसलमानों को और इसी तरह अन्य जातियों को एक दूसरे के ख़िलाफ़ हैं ” x।" बिप्सव के वाद करनल जॉन को ने, जो उस समय मुरादाबाद को पलटन का कमाण्डर था, लिखा कि “हमारी कोशिश यह होनी चाहिए कि भिन्न भिन्न धर्मों और जातियों के लोगों में हमारे सौभाग्य से जो अनैषय मौजूद है उसे पूरे जोरों में कायम रक्खा जाय, हमें उन्हें मिलाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए : भारत सरकार का उसूल यही होना चाहिए‘फूट पैकरों और शासन करो ।। stability ot our power, "-Str John Malcolni, before the Parliamentary Com mittee of 1813. • 4& Diei, t intrn should be the motto ot our Indian administra . tionwhether politicalcivil, or military."-Carnattus in the disticaturnal, May 1821. + " . . . the Drejudice of sects and teligions hy which re have । httletto kent the country the Mussatmans against Hindoos, on and so ; . . . -Major-General Sir Liorl Smitli, K. C. 3, before the Enquiry " Committee of 1831.

'Our endeavour should be to Aphold in full foreg the (for es

fortunate ) 5eparation which exists between the different teligions and races,