पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/६६८

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१७०३
सन् १८५७ के बाद

सन् १८५७ के बाद '१७०३ प्रश्न-नाप कहते हैं कि एक केन्द्रीय सरकार से कई तरह के ख़तरे हैं और आप कहते हैं कि इससे तमाम देशवासियाँ में एक समान भाव पैदा होंगे और उनके एक समान लक्ष्य होंगे जो हमारे लिए ख़तरनाक हो सकते हैं ? उत्तरदाँ ! मैं समझता हूं कि यदि कोई एक ऐसी बात हुई. कि जिसमें तमाम भारतवासी दिलचस्पी लेने लगे तो उससे विदेशी शासम को अधिक हानि पहुँचने की सम्भावना है, घनस्बत किसी भी ऐसी बात के कि जिसका श्रॉन्दोलन भारत के केवल एक भाग तक परिमित हो । यदि किसी प्रश्न पर सारे भारतीय साम्राज्य भर में नान्दोलन होने लगा तो निस्सन्देह किसी ऐसे प्रश्न को , जिसका सम्बन्ध केवल एक प्रान्त के लोगों से हो, विदेशी सत्ता के लिए ग्रह कहीं अधिक खतरनाक होगा 1 इस ‘प्रान्तीय स्वाधीनता' का असली लक्ष्य यही था कि विविध प्रान्तों के लोगों में परस्पर प्रेम और राष्ट्रीयता यामी भारतीयता के भाव पैदा होने म पाँ एँ। घाई इष्टि में भारत इन्फ्रेंनिस्तान को कोई खिरा नहीं देता, किन्तु मेजर विनरोट ने बड़ी योग्यता के साथ इलिस्तान को साबित किया है कि जो रक़म दोम चार्जेज ' के नाम से भारत सरकार हर साल इनलिस्तान मेजती है, यह वास्तव में भारतवर्ष का इनलि दमस्त । शिवराज • Major 5, incate, before the Parliamentary Committec, 13th, July 1SGS.