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भारत में अंगरेज़ी राज

१९६४। भारत में अंगरेज़ी राज इलिस्तान की पार्लिमेट के सरकारी पत्रादिक भी सत्य प्रसय की (ष्टि से विश्वसनीय नहीं कहे जा सकते वर्क्स ने दोस्तमोहम्मद ख़ाँ के विषय में काबुल से कुछ पत्र लिखे थे । इन पत्रों में उसने दोस्त- मोहम्मद ख़ाँ के चरित्र की प्रशंसा की थी ; किन्तु अब अंगरेज़ दोस्तमोहम्मद ख़ाँ से शुद्ध करना चाहते थे । इसलिए दोस्त- मोहम्मद खाँ को जन सामान्य की दृष्टि में गिराना आवश्यक था। वर्ल के भेजे हुए उन पत्रों में, जो पार्लिमेण्ट की सरकारी रिपोर्टों में दर्ज थे, काट छाँट की गई, यहाँ तक कि जिस दोस्तमोहम्मद खाँ के चरित्र की बन्र्स ने खूब प्रशंसा की थी उसकी बन्र्स ही के कलम से उन्हों पत्रों में खूब चुराई दिखला दी गई । इस काट छाँट का भेद कुछ समय बाद अचानक बन्र्स के मर जाने पर उसके पिता ने प्रकट किया और इङलिस्तान के बादशाह के सन्मुख बाज़ाब्ता शिकायत की कि आपके मन्त्रियों ने इस प्रकार जाल बना कर मेरे पुत्र के यश को कलक्षित करने का प्रयत्न किया है इसी काट छट के विषय में इतिहास लेखक के के लिखता है "सार्वजनिक लोगों के सरकारी पत्र व्यवहार में काट लॉट करने की इस प्रथा के प्रति, निस्सन्देहमैं अपनी घृणा प्रकट किए बिना नहीं रह

सकता ।” “ मैं जिस बेईमानी के साध मृष्ठ पर झूठ संसार के सामने

पेश कर दिया जाता है उसमें कोई भी भलाई नहीं है ।x ” इस मामले intrigue on the Himalayan lbills - . . . . . They conceived the idea of seinstating the old deposed dynasty of Shah Shuja, and they picked him out of the dust of Ludhiyana to make him a tool and a puppet. "-Kaye's Zer f artiat Oftcews, vol. ii, p. 36.