पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/७०

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पहला अफ़ग़ान युद्ध

पहल अफगान युद्ध ११७ रणजीतसिंह को इस सन्धि से कोई विशेष लाभ न था । यह भी।

कहा जाता है कि रणजीतसिंह इस सन्धि के साथ सर्वथा सहमत

न था, फिर भी ज्थू थू कर उससे हस्ताक्षर करा लिए गए। इस सन्धि के थोड़े दिनों बाद ही महाराजा रणजीतसिंह की मृत्यु हो गई। इसके बाद आगामी अफ़ग़ान युद्ध के विषय में कम्पनी की चोर से एक एलाम प्रकाशित किया गया जो इस तरह के अन्य अनेक एवानों के समान श्राद्योपान्त झूठ से भरा हुआ है । "‘ अफ़ग़ानिस्तान पर चढ़ाई कर दी गई। बम्बई की सेना सिन्ध और बलूचिस्तान से होती हुई और उसरी भारत अफ़ग़ानिस्तान पर की सेना पवाब और कुंवर के रास्ते अफ़ग़ा- चढ़ाई निस्तान पहुँच । इन सेनाओं की यात्रा क विस्तार से वर्णन करने की आवश्यकता नहीं है । केबल मार्ग में । सिन्ध के अमीरों के साथ अंगरेज़ों ने जो प्रत्याचार किए उन्हें। थोड़ा बहुत बयान करमा श्रावश्यक है। हैदराबाद सिन्ध के अमीर अपने देश के स्वाधीन नरेश थे । फिर भी बिना उनकी अनुमति लिए अंगरेज़ी सिन्ध के अमीरों सेना ज़बरदस्ती सिन्धु नदी से होती हुई अफ़ग़ा- के साथ जबरदस्ती निस्तान की ओर बढ़ चली। कम्पनी सरकार की यह काररवाई उस सन्धि के विरुद्ध थी, जो हाल ही में अंगरेजों और सिन्ध के अमीरों के बीच हो चुकी थी। जिस समय सिन्ध। के अमीरों ने अंगरेजों को सिन्धु नदी से होकर महाराजा रणजीत