पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/७२

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पहला अफ़ग़ान युद्ध ११६९

पहला अफगान युद्ध ११६8 6 है ‘कलाम ईस्टविक ने अवसर पाकर आपने मिशन का काला पूंट अपने गुयानों के गले से उतार दिया » ·· अमीरों ने शान्ति के साथ सुना x & K जय नई सन्धि पढ़ी जा चुकी तब बलूचियों में बड़ी व्याकुलता दिखाई दी। उस समय यदि अमीर थोड़ा सा भी इशारा कर देते तो जो अनेक असभ्य और निर्दय बलूची ननों तलवारें लिए हमरे पीछे खड़े हुए ? थे, उनकी तलवारें हम सब की ज़िम्दगिर्गों को समाप्त कर देने के लिए काफ़ी थीं। पहले अमीर नूर मोहम्मद व ने अपने दोनों साथियों से बलूचो शाबान में कहा कि - 'लानत है उस शख़्स के ऊपर, जो इन फिरनियों के चाों का एसबार करे ।” इसके बाद गम्भीरता के साथ अंगरेज़ प्रतिनिधि की और मुख़ातिब होकर उसने फ़ारसी में यह कहा- 'मैं समझता है, प्राप अपनी सन्धियों को चाहे अपनी इच्छा और सुविधा के अनुसार यदल . जब सकते हैं, क्या अपने दोस्तों और मेहरबान के साथ सलूक करने का यापिका ? यही तरीका है ? आपने हमसे इस बात की इजाजत माँगी कि हम प्रापकी फ़ौज को अपने इतान से होकर जाने दें। हमने आपकी मित्रता और श्यापके ” वादों पर विश्वास करके बिना सोच संजूर कर लिया । यदि हमें यह मालूम होता कि अपनी सेना को हमारे मुल्क में से थाने के बाद थाप हमें ही धमकी देंगे और जबरदस्ती दूसरी सन्धि हमारे सिर मढ़ेंगे और हमसे तीन लाख रुपए सालाना ख़िराज और इफीस लाख रुपए नष्ट फ़ौज़ के खर्च के लिए तय करेंगे, तो हम उस सूरत में अपनी जान और अपने मुल्क की रक्षा के लिए उपाय कर रखते । आप जानते हैं हम लोग थलूची हैं, बनिए नहीं हैं, जिन्हें श्राप आसानी से डरा लें ।” “ ’’ ‘कप्तान ईस्टषिक ने ये सब बातें शान्ति से सुनीं और फ़ारसी और