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भारत में अंगरेज़ी राज

११७० भारत में अंगरेजी राज अरथी कहाव में संक्षिप्त उत्तर दिए और कहा- ‘दोस्तों को जरूरत के समय अपने दोस्तों की मदद करनी चाहिए ।' मीर नूमोहम्मद ने मुस्कराएं कर अपने भाइयों से बलूची जुबान में कुछ कहा हैं x & फिर छाद्द भर कर कप्तान ईस्टविक से कहा-छाप ‘दोस्त' शब्द का जिम साइनों में अपने योग करते हैं उसे मैं चाहता हूं कि मैं समझ सकता । हम आपकी इस समय की माँगों का फ़ौरन् फ़ैसला नहीं कर सकते ।’’ इसके बाद सिन्ध के अमीरों को वश में करने के लिए अंगरेजी सेना ने सिन्धी प्रजा को लूटना मारना और उन सिन्धी प्रजा पर पर तरह तरह के अत्याचार करना शुरू किया । लूट और चस्याचार इस लूट मार का उद्देश् शायद अमीरों को यह दर्शन था कि यदि मित्रता के तौर पर आपने कम्पनी को । सहायत। न दी तो मजबूर कम्पनी की सेना प्रजा से अपनी आवश्यकताओं को पूरा करेगी । देश भर में अब स्थान स्थान पर अंगरेज फसरने बलूची प्रजा के साथ जिस तरह के अत्याचार कियेजिस प्रकार निय बलूची लड़कों के लम्बे बाल एक दूसरे में बाँध कर निर्दयता के साथ अपनी बन्दूकों की गोलियों से उनके विरों के भेजों को निकाल बाहर किया, उस सब की रोमाश्चकारी कहानी सेना के अंगरेज अफ़सरों के लिखे हुए बयानों में मौजूद है ।6

  • lautocingre f Lagalanpp. 77-279, 294296.
  • Warwalipt f the Campaign f tic Army of uiz ia Sala and Cafs,

और 98999, byPH.’Kenedy, 2 vols,