पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज.pdf/७४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
११७१
पहला अफ़ग़ान युद्ध

११७१ पहला अफगान युद्ध अन्त में अंपने और विशेष कर अपनी प्रज्ञा के इन असह्य कट से विवश होकर और सुलह की इच्छा से जुलाई सन् १८३४ में सिन्ध के अमीरों ने नए सन्धि पत्र पर हस्ताक्षर कर दिये । अनन्त लूट का सात और २१ लाख नक़ युद्ध के ख़र्च के लिए लेकर अंगरेजी सेना आगे बढ़ी। इसके बाद अंगरेजी सेना अफ़ग़ानिस्तान पहुँची। थोड़े ही दिनों में केवल अपनी साजिशों के प्रताप आफ़ग़ा- काबुल पर निस्तान के अनेक सरदारों को अंपनी नोर क़ब्ज़ा फोड़ कर, शाहशुजा के नाम पर अंगरेजों ने एक बार काबुल पर कन्ना कर लिया । शाहशुजा काबुल के तख़्त पर बैठा दिया गया और दोस्त मोहम्मद ख़ाँ को कैद करके भारत की ओर रवाना कर दिया गया। जिस उद्देश को सांममें रख कर अंगरेज़ ने अफ़ग़ानिस्तान में प्रवेश किया था वह ज़ाहिरा पूरा होगया । ‘आफ़गानिस्तान की किन्तु अफ़ग़ानिस्तान के अन्दर युद्ध समाप्त परिस्थिति "नहीं हुआ । अंगरेजों की प्रारम्भिक सफलता का कारण केवल यह था कि उन्होंने यहाँ के अनेक सरंदारों और बहुत सी प्रजा को, झूठे वादे करके और को रख कर, शाहशुजा सामने अपने पक्ष में कर लिया था। जो पक्ष अंगरेजों और शाहशुजा दोनों के विरुद्ध था, उसने दोस्त मोहम्मद ख़ाँ के वीर पुत्र प्रकचर ख़ के ‘अधीन बराबर दो वर्ष तक युद्ध जारी रक्खा 1 इस अरसे में अंगरेज अधिकारियों की दुरङ्गी चालोंउनके अत्याचारों और दुराचा