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भारत में अंगरेज़ी राज

११७ भारत में अंगरेजी राज की थी वह वास्तव में एक जासूस था । उसने अफ़ग़ान कौम के साथ विश्वासघात किया । एक दिन दिन दहाड़े कुछ अफ़ग़ानियों वर्षों के टुकड़े टुकड़े कर डाले । तीसरा मनुष्य, जो कि अफ़ग़ानिस्तान का क्लाइव बनना चाहता थर, अंगरेज़ एलची मैकनॉटन था। मैकनॉटन मैकनॉटन का को शुरू में यह पता न था कि अफ़ग़ानिस्तान . बहाल न था । अंव हां बिगड़ी हुई देख कर 'मैकनॉटन , ने नए गवनर जनरल लॉर्ड एलेनझू की इजाज़त से दोस्त मोहम्मद खाँ के बेटे अकबर ख़ाँ से यह वादा कर लिया कि हम दोस्त मोहम्मद ल खाँ को फिर बापस अफ़ग़ानिस्तान लाकर यहाँ ‘क के तख्त पर बैठा देंगे । इस अहदनामे पर मैकनॉटन के दस्तख़त तक होगए । इस पर भी मैकनॉटन के दिल से दगा न गई । उसने अकबर खाँ को एक पत्र लिखाजिसमें अपनी मित्रता का विश्वास दिलाते हुए लिखा कि मैं आप से मिलना चाहता हूं। इसी पत्र के अन्त में उसने अंकघर ख़ाँ को सलाह दी कि प्रापके श्रमुक प्रमुक सरदार श्रापके साथ दगा करने वाले हैं, आप उनका खात्मा कर डालिए" ठीक उसी समय मैकनॉटम ने उन सरदारों को अलग अलग पत्र लिखे, जिनमें उन्हें अकबर खाँ के विरुद्ध भड़काने की कोशिश की। अकबर खाँ ने पत्र पाते ही अपने समस्त सरदारों को जमा किया 1 ईनमें वे लोग भी शामिल थे, जिनके विरुद्ध मैकनॉटन ने अकबर खाँ को आगाह किया था। इन सरदारों के सामने 'अकवर ख़ाँ ने मैकनॉटन का पत्र रख दिया । उन सरदारों के हाथों