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भारत में अंगरेज़ी राज

११० भारत में अंगरेजी राज ' अकस्मात् एक अफ़ग़ान दौड़ता हुआ अकबर ख़ाँ के सामने आया। आते ही उसने अकबर ख़ाँ को बात में छिपे हुए अंगरेजी सिपाहियों का समाचार दिया । इस पर अकबर खाँ और मैकनॉटन दोनों खड़े हो गए फिर कुछ बात चीत हुई । पहली गोली मैकनॉटन ने चलाई और बार खाली गया। दूसरा वार अकबर खाँ का हुआ और मैकनॉटम अपने घृणित पापों के प्रायश्चित रूप उसी खेमे के अन्दर गिर कर ढेर होगया ।’ इन घटनाओं के होते हुए भी अनेक अंगरेज इतिहास लेखक लिखते हैं कि अकबर ख़ाँ ने दगा करके मैकनॉटन को मार डाला। इस प्रकार अफ़ग़ानिों की राष्ट्रीय आपत्तियों के तीन मुख्य कर्ता शाहशुजा, बन्र्स और मैकनॉटन तीनों का १६,००० की अन्त हुआ । इसके बाद और असंख्य ग्रंगरेज़ों सेना का अवशेष को शीघ्र ही अफ़ग़ानी तलवारों के घाट उतरना पड़ा । बाक़ी की अंगरेजी सेना ने अकबर ख़ाँ से प्रार्थना की कि हमें भारत लौटने की इजाजत दी जाय और वादा किया कि हम यहाँ से जाते ही तुरन्त दोस्त मोहम्मद खाँ को अफगानिस्तान लौटा देंगे। अंकवर खाँ ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली । कुछ अंगरेज : अफसर अपनी स्त्रियों सहित बतौर बन्धकों के कांबुल में रख लिए । .4 1ष गए बची खुची अंगरेज़ी सना ऐन कड़ी सरदी के अन्दर भारत की ओर लौटी। यह यात्रा इन लोगों के लिए युद्ध के मैदान • Wairang-45ghairtai by Syed Fida Husain, Reviewed in the मैं , Modern Reviow for February 1907, p. 224.