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पहला अफ़ग़ान युद्ध

पहला आफ़ग़ान युद्ध १९८१ को निस्वत भी कहीं अधिक माशकर साबित हुई। मार्ग भर में

  • असंख्य अफ़ग़ानी और बलूची दो वर्ष पूर्व अंगरेजी सेना के

अत्याचारों का अनुभव प्राप्त कर चुके थे । इन लोगों ने अब पिछले जमों का जी खोल कर बदला लिया । अनेक को मार्ग की सरवी और यात्रा के थकाम के कारण सरहद की पहाड़ियों में सदा के लिए विश्राम लेना पड़ा । जितने पुरुषस्त्री और बच्चे काबुल से चले थे, या यह कहना चाहिये कि सोलह हजार को उस विशाल सेना में , जो अफगानिस्तान बिजय करने के लिए भारत से निकली थी, केवल एक व्यक्ति डॉक्टर ब्राइडन थका माँवा जलालाबाद तक बच कर जिन्दा पहुँचा । इसी बीच फ़रवरी सन् १९४२ में लॉर्ड ऑॉकलैण्ड की जगह लॉर्ड एलेन भारत का गवरनर जनरल नियुक्त लॉर्ड एलेनद्र होकर कलकते पहुँच चुका था। शाहशुजा बन्र्स और मैकनॉटन तीनों की हत्याएँ लॉर्ड एलेन ही के शासन काल में हुई । शासन नीति में लॉर्ड एलेमधु के आदर्श वे दोनों वेल्सली भाई थे, जिनमें से एक गवरनर जनरल मार्किल एलेनष्ट्र के विचार श्र वेल्सली के नाम से और दूसरा जनरल बेरूसलो -और बाद में ड्यूक ऑफ बेतिइटन के नाम से ब्रिटिश साम्राज्य के इतिहास में प्रसिद्ध हैं । अफ़ग़ान युद्ध के वृतान्त से हट कर हम के विचार एक क्षण के लिए एलेनझू दर्शा देना चाहते हैं। गबरनर जनरल नियुक्त होने से 8 वर्ष पछले ५ जुलाई ।