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भारत में अंगरेज़ी राज

११८२ भारत में अंगरेज़ी , रः सन् १८३३ को लॉर्ड एलेनझू ने इइलिस्तान के हाउस ऑफ लॉर्डस में वक्तृता देते हुए कहा था। 'कोई मनुष्य जिसका होश कायम है, हिन्दोस्तान के अन्दर राजनैतिक और सैनिक शक्ति, हिन्दोस्तानियों के हाथों में देने की तजवी नहीं कर सकता ॥ X N x 'हिन्दोस्तान के ग्रन्दर हमारा अस्तिश्व ही इस बात पर निर्भर है कि उस देश में देशवासियों को सैनिक और राजनैतिक अधिकार से बिलकुल दूर रखा जाय ।x हमने भारतीय साम्राज्य तलवार से जीता है और सलवार से ही हमें उसे कायम रखना होगा ।” “ ईं । इन वाक्यों से और वेल्सली बन्धुओं के नाम लॉर्ड एलेम् के अनेक पत्रों से भारतवासियों के प्रति लॉर्ड एलेन के विचार और भाव स्पष्ट विदित हैं । इङलिस्तान छोड़ने से पहले १५ अक्तूबर सन् १८४१ को एलेनझू ने ब्यूक ऑफ़ वेलिफेंटन के नाम एक पत्र लिखा, जिससे पता चलता उसकी मुख्य समय है कि नज़र उस पक्षाब और नैपाल इन दो राज्यों के ऊपर थी। वह जिस तरह वन पड़े इन दोनों को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लेने के लिए उत्सुक था। उसके अनेक पत्रों से यह भी साबित है। कि भारतीय नरेशों के साथ जब चाहे सन्धियों को तोड़ देना वह इतना ही न्याय्य

  • " main his .setses would propose to place the political and

No i1 military power in India in the hands o the natives. . . . " Our very existenee in India depended upon the exclusion of the natives from military and political power in that country . . . . We had won the mpire of India by the , and re must preserve it by the same means, . . ."Lord ugh in the House of Lords, July 5th, 1833. Ellenborou