पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/११

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का विश्वासपात-सींधिया के लिए अवसर-सीधिया की अनिश्चितता- मोसले के साथ अंगरेजों का अम्पाय-भरतपुर के साथ सन्धि-भरतपुर का महत्व। पृष्ठ ७६५-७६४ सत्ताईसवाँ अध्याय दूसरे मराठा युद्ध का अन्त सींधिया और होलकर की भेंट-वेल्सली की परेशानी–दोबारा युद्ध की मन्शा-अंगरेजों की लगातार हारों का परिणाम-कम्पनी की प्रार्थिक स्थिति-शोषण के नमूने-वेल्सली की वापसी-फिर लार्ड कार्नवालिस- कार्नवालिस की मृत्यु-सर लार्ज बारलो-सींधिया के साथ नई सन्धि- जसवन्तराव के साथ सन्धि-दूसरे मराठा युद्ध का परिणाम-बारतो की भेदनीति-ईसाई मत प्रचार को उत्तेजना-वेलोर का ग़दर । पृष्ठ ७९५-८२१ अहाईसवाँ अध्याय प्रथम लार्ड मिण्टो कम्पनी की स्थिति-अंगरेज़ों के विरुद्ध असन्तोष-अंगरेज़ी इलाके में डकैतियाँ-लार्ड मिन्टो का पत्र-अंगरेज़ी और देशी इलाकों में तुलना -अंगरेजों के साथ साथ अराजकता का प्रवेश-जसवन्त राव होलकर का चरित्र-अंगरेजों की अमीर ख़ाँ से साज़िश-होलकर दरबार की स्थिति- मराठों को एक दूसरे से खदाना-पिण्डारियों का चरित्र-उनका सैनिक