पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/३९४

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भारत में अंगरेज़ी राज

•B8- भारत में अंगरेज़ी राज " x x x ज्यों ही कि मौसम इजाज़त दे त्यों ही फिर युद्ध शुरू करने के लिए नौजें पूरी तरह तैयार रहनी चाहिएं। निस्सन्देह इन बातों का प्रबन्ध श्राप कर ही लेंगे कि रसद इत्यादि जमा कर ली जाय और आइन्दा मौसम के शुरू में ही किसी समय सींधिया को नाश कर सकने के लिए जो जो तैयारी जरूरी हो, वह सब पूरी कर ली जाय। " x x x सम्भव है हमें अगस्त महीने के करीब ही या ज्यों ही कि वर्षा का ज़ोर घटे, सींधिया पर हमला करना पड़े या होलकर से युद्ध करना पड़े।"* इसी पत्र में मार्किस वेल्सली ने लेक को आदेश दिया कि सींधिया और होलकर से लड़ने के लिए चार सेनाएँ चारों ओर तैयार रक्खी जायँ । एक गोहद के राजा के खर्च पर सबसीडीयरी सेना गोहद में, दूसरी सेना बुन्देलखण्ड में, तीसरी आगरा और मथुरा में और चौथी देहली और दोश्राब के उत्तरी भाग में । इसके बाद २५ जुलाई सन् १८०५ को मार्किस वेल्सली ने जनरल लेक को फिर लिखा- "यदि हमने, जितनी जल्दी से जल्दी मुमकिन हो सकता है, फिर से • " The troops shuld be completely ready to commence active operations as soon as the season will permit and arrangements will of course be adopted by Your Lordship for collecting supplies, etc, and for completing every other preparation which may be necessary to enable Your Lordship to destroy Scindhia at any early period of the ensuing season the possible contingency of our being compelled to attack Seindhia, or to operate against Holkar, about the month of August, or as soon as the violence of the rainy season may have subsided"-Marquess Wellesley's Official and Secret Letter to General Lake, dated 17th May 1805