पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज (दूसरी जिल्द).djvu/५२७

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नैपाल युद्ध

नेपाल युद्ध ६३१ वापस आगई । किन्तु अंगरेजी सेना अभी गोरखपुर पहुँची भी म थी कि २६ मई सन् १८१४ को सवेरे गोरखा सेना ने नए अंगरेज़ी थानों पर हमला करके उस इलाक़े पर फिर से कब्जा कर लिया। हेस्टिंग्स समझता था नेपाली इस जबरदस्ती को चुपचाप स्वीकार कर लेंगे। किन्तु गोरखा सेना के हमले ने मामले को संगीन बना दिया। अब अंगरेजों के लिए इस हमले का जवाब देना आवश्यक था। किन्तु हेस्टिग्स के मार्ग में अभी दो कठिनाइयाँ थीं। एक तो प्रिन्सेप के अनुसार गवरनर जनरल चाहता था कि युद्ध के एलान से पहले जो अंगरेज़ उस समय नेपाल के साथ तिजारत कर रहे थे उन्हें अपनी पूंजी सहित वापस बुला लिया जाय । दूसरे यदि युद्ध देर तक चला तो उसके लिए काफी धन की आवश्यकता थी। जून सन् १८१४ में मार्किस ऑफ़ हेस्टिंग्स धन की तलाश में ___ कलकत्ते से उत्तर पूर्वी प्रान्तों की ओर रवाना नवाब अवध और हुश्रा । कम्पनी की आर्थिक स्थिति उस समय . खासी गिरी हुई थी। कम्पनी की हुण्डियाँ बाज़ार में बारह फ़ीसदी बढे पर बिकती थीं। किन्तु कम्पनी और उसके अंगरेज़ अफ़सरों की पुरानी कामधेनु अवध का नवाब मौजूद था। नवाब गाज़ीउद्दीन हैदर उस समय अवध की मसनद पर था। कहते हैं कि अंगरेज़ रेज़िडेण्ट मेजर बेली के बुरे व्यवहार के कारण नवाब ग़ाज़ीउद्दीन हैदर ज़िन्दगी से बेज़ार हो रहा था। यहाँ तक कि गवरनर जनरल के पास इसकी शिकायत पहुँची,