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भारत में अंगरेज़ी राज

२००२ का अन्त भारत में अंगरेजी राज निस्सन्देह कुर्ग के उबार में उस समय एक से अधिक दरबारी लॉर्ड बेण्टिङ्क या उसके गुप्तचरों के खरीदे हुए थे, जिन्होंने राजा को तरह तरह से धोखे में रक्खा । अन्यथा राजा की इस भयंकर असमअसता और कुर्ग निवासियों के नाम उसकी घातक श्राक्षाओं का और कोई कारण श्रासानी से समझ म नहीं पा सकता। संक्षेप यह कि राजा को गद्दी से उतार कर कैद करके बनारस भेज दिया गया; देवम्मा जी और उसके पति कुर्ग को स्वाधीनता को जिनके नाम पर यह सब स्वाँग रचा गया था, ताक पर रख दिया गया और कुर्ग का रमणीय प्रान्त कम्पनी के इलाके में मिला लिया गया । इस प्रकार कुर्ग की स्वाधीनता का अन्त कर दिया गया। इस अवसर पर कपट और झूठ से भरा हुश्रा एक एलान कुर्ग की प्रजा के नाम प्रकाशित किया गया, जिसके शुरू में ही लिखा था- ___ "कि समस्त कुर्गनिवासियों की यह इच्छा है कि हमें अंगरेज़ सरकार की रक्षा में ले लिया जाय, इसलिए x x x इत्यादि इत्यादि ।" इसी एलान में श्रागे चल कर लिखा है कि-"कुर्गनिवासियों को विश्वास दिलाया जाता है कि उन्हें फिर कभी भी देशी शासन के अधीन न होने दिया जायगा, इत्यादि !" प्रायः समस्त अंगरेज़ the British Expedition, then marching into Coorg, were more indebted for their success and even safety, than to the skill and talents of their comman- ders."-Revd Dr Moegling, in his History of Coorg published in the Calcutta Revery for September, 1856, p 199