पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/११३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
८५
जिज्ञासु अरब

जिज्ञासु अरब ६५ ऊपर खीच चुके है, शेष भारतवासियों के विचारों, उनके धर्म, उनके साहित्य, उनकी चित्रकारी, उनके विज्ञान, उनकी निर्माण कला, सारांश यह कि समस्त भारतीय सभ्यता पर इसलास के नए विचारों का गहरा और अमिय प्रभाव पडा । किन्तु इस प्रभाव को बयान करने से पहले यह आवश्यक है कि हम मोहम्मद साहब के बाद की अरवों के अन्दर की नई धार्मिक लहरों और उनकी सभ्यता के अन्य पहलुओं पर भी एक नज़र डाल ले। इसलाम आरम्भ से ही एक ईश्वर का मानने वाला था । उसके सिद्धान्त अत्यन्त सरल थे और पूजा विधि अत्यन्त सुसाध्य । फिर भी मोहम्मद साहब की मृत्यु के थोड़े दिनों बाद से ही इसलाम के अन्दर नई नई शारखे फूटने लगी। जिस तरह अरब नीतिज्ञों ने पूरब और पच्छिस मे अपने साम्राज्य को बढाना शुरू किया, उसी तरह अरब विद्वानों और जिज्ञासुओं ने संसार के चारों कोनों से दर्शन, विज्ञान और अनेक विद्याओं की खोज कर अपने भण्डार को बढाना शुरू किया। बौद्ध और हिन्दू ग्रन्थ अरबी में ईसाई धर्म ग्रन्थों के अरबी में अनुवाद किए गए । सुक्करात, अफलातून और अरस्तू जैसों के गूढ़ दर्शनशास्त्रों, और विज्ञान, वैद्यक, ज्योतिष इत्यादि पर यूनानी ग्रन्थों के अरबी मे अनुवाद किए गए। भारत के साथ अरबों का घनिष्ट सम्बन्ध पहले से था ही । भारतीय माल के साथ साथ भारतीय संस्कृति और भारतीय विद्याओं का लेन देन भी शीघ्र ही शुरू हो गया । शुरू के खलीफाओं के दिनों में अनेक हिन्दू बसरा में ऊँचे ऊँचे पदों पर नियुक्त थे। शाम, काशगर इत्यादि में हिन्दुओं की अनेक बस्तिय

  • Jean Perier Viedal Hadyyadg in Yusaf, P 249-52