पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/१७२

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पुस्तक प्रवेश

पुस्तक प्रवेश सोलवीं सदी के करीब 'समाधियाँ' या 'छतरियाँ' बनाना हिन्दुओं में पहली बार शुरू हुअा और निस्सन्देह यह रिवाज हिन्दुओं में मुसलमानों सं पडा । इमारतों में महाराव का उपयोग, डाट की गोल छत और श्राज कल की उद्यान कला ये तीनों भारत ने मुसलमानों ही से सीखीं। वर्तमान भारत के सुन्दर से सुन्दर बाग़ मुग़ल सम्राटों के समय के बने हुए है, जिनमें जहाँगीर के समय का बना हुआ काशमौर का शालामार बाग़ अभी तक संसार का सबसे सुन्दर बाग़ स्वीकार किया जाता है। चित्रकला इसी तरह चित्रकला में भी दो अलग अलग आदर्शों के मेल से मुगल सम्राटों के अधीन भारत ने एक अधिक उच्च और अधिक सुन्दर चित्रकला को जन्म दिया। हुमायूँ , अकबर, जहाँगीर और शाहजहाँ के महलों में सैकडों हिन्दू चित्रकार केवल अपनी कला को तरक्की देने के लिए बडी बडी तनख्खा पाते थे। शीराज़, तबरेज़ यहाँ तक कि चीन के बड़े बड़े चित्रकार भी वहाँ पर मौजूद रहते थे और निस्सन्देह ये सब एक दूसरे की सहायता से अपनी अपनी कला को उन्नति देते थे। उस समय की झारसी पुस्तकों और दस्तावेज़ों में जयपुर, ग्वालियर, गुजरात, काशमीर इत्यादि के रहने वाले मुग़ल दरबार के अनेक हिन्दू और मुसलमान चित्रकारों के नाम मिलते हैं, जिनमें से कुछ के हाथ के खिचे हुए सुन्दर चित्र अभी तक चित्रकला विशारदों को चकित करते रहते हैं । दिल्ली और प्रागरे से लेकर जयपुर, जम्मू, चम्बा, काँगड़ा, लाहौर, अमृतसर और दक्खिन मे तोर तक उस समय एक सुन्दर भारतीय चित्रकला फैलती और उन्नति करती हुई दिखाई देती थी। दिल्ली और आगरे में जिन श्रादर्शी