पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/३२१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
६५
सिराजुद्दौला

सिराजुद्दौला ६५ इतिहास लेखक स्कैफ़टन लिखता है कि सिराजुद्दौला को “अपने मुख्य मुख्य अफसरों और खासकर मीरजाफर में, जिसका व्यवहार इस मामले में बड़ा रहस्यपूर्ण मालूम होता था, विद्रोह के लच्छन दिखाई दे गए थे।"* ४ फरवरी सन् १७५७ ई० को सिराजुद्दौला कलकत्ते पहुंचा। कलकत्ते में अंगरेजों ने उसे बड़े आदर के साथ अमीचंद के बाग में ठहराया। सुलह को बातचीत बराबर जारी रही। अंगरेजों की गुप्त तजवीज़ थी कि ५ को सवेरे सूर्योदय से पहले सिराजुद्दौला पर चुपके से हमला कर दिया जाय । इतिहास लेखक जीन लॉ लिखता है :- ___जिस दिन अंगरेज हमला करने वाले थे उसपे एक दिन पहले सिरा- जुझौला को और अधिक पूरी तरह धोखे में रखने की गरज से और उसके खमे की जगह को अच्छी तरह देख लेने के लिए उन्होंने उसके पास अपने दो वकील भेजे । इन वकीलों को हुकुम था कि वे नवाब से सुलह की तजवीजें करें, किन्तु सुलह की जो शर्ते उन्होंने पेश की उन्हीं मे नवाष को ज़ाहिर हो जाना चाहिये था कि यह सब उसके शत्रुओं की केवल एक चाल थी।" __Sira, uddaula Matscovered some appearance of disaflection sr some of us procapal officers, particularlyn Air Jaffar, Ease conduct in tnas affair hatheen very mysterious'--Reflections r 66 To deceive him (Siraj more completely ardevanme the position ot his camp the Engush sent deputies the dar before the attack they medita- ted These deputres were ordered to proposean accommodation, but the Terr conditions must have soorn theNasacthis was only aruse on the part of its, enemy-."-~~-Jean Tax, Ibrd voi tuzy 182