पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/४५

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लेखक की कठिनाइयां

r- लेखक की कठिनाइयां फ्रान्सीसी किताब मे या उसके अंगरेजी अनुवाद से ये पृष्ट लिए होते तो यह नामुमकिन था कि भारसी से अङ्गरेज़ी तर्जुमा करने में ठीक वही शब्द ज्यू के स्यूं लिखे जा सकते । जाहिर है कि मीर हुसेनअली खाँ का फारसी मसविदा था तो कहीं है ही नहीं, या कम से कम जिसे करनल माइल्स ने उस मसविदे का अनुवाद कह कर प्रकाशित किया है, वह उस मसविदे का अनुवाद नहीं है। ___ इसी तरह की और भी अनेक मिसालें अंगरेजों के जमाने के हिन्दोस्तान के लिखे हुए इतिहास से दी जा सकती हैं । सच यह है कि आजकल की यूरोपीय सभ्यता में और खासकर यूरोपीय राजनीति में ईमानदारी या सच के लिए कोई जगह नहीं, और यूरोपीय इतिहास कला बहुत दरजे तक यूरोपीय राजनीति का केवल एक अङ्ग है। प्रोफेसर सीली, प्रोफेसर गोल्ड- विन स्मिथ और इतिहास लेखक फ्रीमैन जैसे यूरोपियन विद्वानों ने इतिहास को केवल राजनीति का एक श्रङ्ग स्वीकार किया है । और Politics has no conscience,' यानी 'राजनीति में पाए पुण्य के विवेक का कोई स्थान नहीं', अंगरेज़ी की एक मशहूर कहावत है 128 इस तरह के झूठे और कल्पित इतिहास का नतीजा हमारी कौमी

  • पिछले साल एच. डी० लैमवेल को लिखी 'प्रोपेगैण्डा टैकनीक इन

वर्ल्ड वार' नामक एक पुस्तक प्रकाशित हुई है । इस पुस्तक में साफ लिखा है कि आगामी महायुद्ध के लिये युद्धविद्या, शस्त्राभ्यास इत्यादि के साथ साथ समस्त राजनीतिज्ञो, शासकों और सेनापतियों को झूठ बोलने की विद्या का भी बाज़ाता वैज्ञानिक अध्ययन करना चाहिये । लेखक के अनुसार पिछले महायुद्ध के दिनों में झूठ बोलने की कला में सब से अधिक सफलता