पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/६०६

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३३०
भारत में अंगरेज़ी राज

३३० भारत मे अंगरजी राज ४६ अंगरेज अफसरों, ६० अंगरेज सिपाहियों और ६,००० से ऊपर कम्पनी के हिन्दोस्तानी सिपाहियों को टीपू ने इस लड़ाई में कैद कर लिया और उनके तमाम अस्त्र शस्त्र और सामान जब्त कर लिया। मंगलोर की यह लड़ाई वास्तव में अंगरेजों और हैदर दोनों के लिए बड़े मार्के की लड़ाई थी। केवल तीस दिन अंगरेजी सेना के कब्जे में रहने के बाद मंगलोर का किला और नगर टीपू के हाथों में आ गया। नौजवान बेटे की इस शानदार विजय के एक दिन बाद हैदर अपनी सेना सहित मंगलोर पहुँचा ! फ़तह की खबर सुनते ही सुलतान हैदर ने टीपू को छाती से लगा लिया और मारे खुशी के उसकी आँखों में आँसू आ गए। मङ्गलोर में पुर्तगालो ईसाइयों के तीन गिरजे थे। ये यूरोपियन . पादरी उस समय की प्रथा के अनुसार अपने को __ ब्राह्मण इसाई "ब्राह्मण ईसाई' कहा करते थे। व्राह्मणों के से कपड़े पहनने थे, गले में जनेऊ डालते थे, निरामिष भोजन करते थे, खड़ाऊँ पहनते थे और ब्राह्मणों का सा सब आचार विचार रखते थे। इस चाल ने उन्हें हिन्दू जनता को ईसाई बनाने में आसानी होती थी। ये लोग हैदर की प्रजा थे। हैदर ने इनके साथ अनेक रिश्रायतें कर रक्खी थीं। फिर भी अंगरेजों के मङ्गलोर पर हमला करते समय इन तीनों गिरजो के यूरोपियन पादरियों ने हैदर के खिलाफ उसके शत्रुओं को मदद दी। हैदर को जब इसका पता लगा तो उसने उनका माल असबाब जब्त कर लिया और उन्हें