पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/६१७

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हैदरअली

३३६ अब वह समय आया जब कि नाना फड़नवीस ने अंगरेजो की चालों और उनसे देश की हानि को अच्छी तरह हैदर और नाना __ समझ कर सन् १७७० में अपना एक दूत फड़नवीस में अंगरेजों के खिलाफ गनेशराव हैदर के पास मेल करने के लिए भेजा। सन्धि हैदर को भी अंगरेजों के चरित्र का काफी अनुभव हो चुका था। हैदर और नाना फड़नवीस दोनों में खास समझौता हो गया। 'चौथ' की उस रकम को, जो मैसूर दरबार से पेशवा द्रवार को मिला करती थी और जिस पर मराठों और हैदर में अनेक बार झगड़े हो चुके थे, आइन्दा के लिए नाना ने वहुत कम कर दिया। हैदर का जो इलाका पहले मराठों ने ले लिया था और हाल में टीपू ने मराठों से विजय किया था उसे पेशवा दरबार ने हैदर ही का इलाका स्वीकार कर लिया, और हैदर ने मराठों से वादा किया कि अंगरेजों को हिन्दोस्तान से बाहर निकालने में मैं आप लोगों की पूरी मदद करूंगा। अंगरेजों को जब इस सन्धि का पता चला और मालूम हुआ कि हैदर अंगरेजी इलाके पर फिर से हमला करने की तैयारी कर ___ रहा है तो उन्होंने मद्रास से एक दूसरे के बाद दो दूत दोबारा सन्धि करने के लिए हैदर के दरबार में भेजे । किन्तु हैदर अंगरेजों को पूरी तरह समझ चुका था, उसने स्वीकार न किया। अंगरेज दूत ग्रे को उसने अंगरेजों की दगावाजी पर लानत मलामत की और अपने यहाँ उसके साथ वह सलूक किया जो एक राजदूत के साथ नहीं, बल्कि किसी जासूस के साथ किया जाता है।