पृष्ठ:भारत में अंगरेज़ी राज - पहली जिल्द.djvu/८१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
५३
पुराने हमले

पुराने हमले ५३ थे उसे उन्होंने भारतीय बौद्ध चित्रकारी की सहायता से खासी वरकी दी। इसी तरह बौद्ध चित्रकारी ने भो यूनानी चित्रकारी से उस समय कई नई बातें सीखीं । ज्योतिष, विज्ञान, दर्शन और अन्य कलाओं में भी यूनानियों ने भारतवासियों से और भारतवासियों ने यूनानियों से बहुत कुछ शिक्षा ली। दोनों में खुले व्याह शादियां होने लगीं । यहाँ तक कि उस समय के असे हुए 'यवन' (यूनानी) आज भारतवासियों में इस तरह बुल मिल कर एक हो गए हैं कि उनका कहीं पता नक नहीं रहा। शक और हुण कौमों के हमले ___ इन यूनानियों के बाद जैसा हम अभी ऊपर कह चुके हैं, शक, पहलव और हुण कौमों के हमलों का समय माना है। ये हमले भी बख्तियारी यूनानियों के हमलों की तरह एक दरजे तक भारत पर सफल हमले कहे जा सकते हैं, और ये कौमें भी ठीक उसी तरह भारत में आकर बस गई जिस तरह कि यवन बस गए थे। सिन्धु नदी के पश्चिम में गन्धार और पुष्कलावती और पूरब में नन्दशिला हजरत ईसा के जन्म की सदी में शक (मीदियन ) जाति के शासन में श्रा गए । पच्छिम पञ्जाब और सिन्ध के कुछ हिस्से पर कुछ दिनों के लिए शक जाति की हुकूमत कायम हो गई । उसी सदी में पहलव ( पाथियन) कौम के लोगों ने भी सिन्ध को विलय किया। इसके बाद इन लोगों ने दक्खिन की ओर बढ़ना शुरू किया । किन्नु आन्ध्र कुल के सम्राटों ने कई संग्रामों में इन पर विजय प्राप्त कर मध्य और दक्विन भारत को उनके हमलों से बचाए रक्खा । इसीलिए शक जाति के लोगों का शासन विन्ध्या तक ही रहा।