पृष्ठ:भारत में इस्लाम.djvu/२०५

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१६६ प्रश्न करते हैं। एक पैसा लेकर ये लोग उस बेचारे को उसका भविष्य बतला देते हैं, और उनके हाथ और मुह को अच्छी तरह देख-भालकर उन्हें विश्वास दिलाते हैं कि वे वास्तव में कुछ हिसाब लगा रहे हैं। किसी काम के आरम्भ करने के लिये समय पूछने पर ये लोग मुहूर्त बतलाते हैं। नासमझ स्त्रियाँ सिर से पैर तक सफेद चादर ओढ़कर उनके निकट खड़ी रहती हैं। वे प्रायः अपनी सब बातों के सम्बन्ध में उनसे कुछ-न-कुछ पूछा करती हैं, और अपना सारा हाल उन्हें सुना देती हैं, ठीक वैसे ही जैसे फ्रान्स में कोई स्त्री पादरी के सामने क्षमा किये जाने के लिये अपने सारे दोष कह-सुनाती हैं । इन मूर्खाओं को पूर्ण रूप से यह विश्वास होता है कि ग्रहों के फलों को बदल देना इन्हीं ज्योतिषियों के हाथ में है। इनमें सबसे विचित्र एक दोग़ला पुर्तगीज था -जो गोआ से भाग आया था। वह भी कालीन बिछाये हुए बड़े-ही शान्त भाव से बैठा रहता था। इसके पास बहुत-से लोग आया करते थे। यह व्यक्ति कुछ भी लिखा-पढ़ा नहीं था। इसके पास ज्योतिष के यंत्रों के स्थान में केवल एक पुराना जहाजी-दिग्दर्शक- यन्त्र या क़ुतुबनुमा था, और ज्योतिष की पुस्तकों के स्थान में रोमन कैथ- लिक ईसाईयों की नमाज की दो पुरानी सचित्र पुस्तकें थीं । वह कहा करता था–योरोप में ग्रहों के चित्र ऐसे ही होते हैं । एक दिन एक पादरी फ़ादर कुजी ने यह बात सुनकर उससे प्रश्न किया कि तू यह क्या कहता है । उसने निर्लज्जता से उत्तर दिया-'ऐसे मूरों का ज्योतिषी भी ऐसा ही होना चाहिये।' यह हाल उन गरीब ज्योतिषियों का है, जो बाजारों में बैठे दिखाई देते हैं। पर जो ज्योतिषी अमीरों के पास जाते हैं, वे बहुत ही विद्वान् समझे जाते हैं। यों-ही ये लोग धनवान् बन जाते हैं। सारा एशिया इस व्यर्थ के वहम में फंसा हुआ है । स्वयं बादशाह तथा और बड़े-बड़े अमीर इन धोखेबाज भविष्य-वक्ताओं को लम्बे-चौड़े वेतन देते हैं, और बिना इनकी सलाह के साधारण काम भी आरम्भ नहीं करते । मानों यह न नजूमी भविष्य की सारी बातें जानते हैं। प्रत्येक काम के आरम्भ करने के लिये उत्तम समय नियत करते और कुरान के पन्ने उलट-पलटकर सब प्रश्नों का उत्तर दे देते हैं । दिन के समय यही लोग सवारियों पर बैठकर व्यापार